मुरादाबाद : लक्ष्य से कोसों दूर स्वास्थ्य विभाग, चार माह में सिर्फ 10 पुरुष, 750 महिलाओं की नसबंदी
जनसंख्या स्थिरीकरण : कुंदरकी व ताजपुर सीएचसी ने चार महीने में एक भी पुरुष की नसबंदी नहीं की, नसबंदी मामले में जिले की स्थिति बहुत खराब

मुरादाबाद, अमृत विचार। नसबंदी के मामले में स्वास्थ्य विभाग काफी पीछे है। जुलाई माह में जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए जागरूकता अभियान चला। लेकिन, एक से 31 जुलाई के बीच जनसंख्या स्थिरीकरण अभियान में केवल एक पुरुष और 317 महिलाओं की नसबंदी हुई है। अप्रैल से जुलाई तक 10 पुरुष और 750 महिलाओं की नसबंदी हो पाई है।
वैसे अप्रैल से मार्च तक 74 पुरुषों और 4410 महिलाओं की नसबंदी का लक्ष्य मिला था। नसबंदी के लिए महिला-पुरुष को तैयार कर पाना स्वास्थ्य विभाग के लिए मुश्किल पड़ रहा है। ऐसे में निर्धारित लक्ष्य पूरा कर पाने में भी सफलता कठिन ही लग रही है। इस मामले में कुंदरकी व ताजपुर सीएचसी का हाल ही बहुत खराब है। यहां क्षेत्र में पुरुष नसबंदी शून्य है, महिला नसबंदी में भी जिले में सबसे पिछड़ी सीएचसी कुंदरकी ही है।
कुंदरकी में 21 और ताजपुर सीएचसी क्षेत्र की 28 महिलाओं की नसबंदी हुई है। सभी नौ सीएचसी में महिला-पुरुष नसबंदी के मामले में ठाकुरद्वारा सीएचसी अव्वल है। इसने तीन पुरुष और 49 महिलाओं की नसबंदी कर ली है। इसी तरह कांठ सीएचसी क्षेत्र में दो पुरुष व 38 महिलाओं की नसबंदी हुई है। भोजपुर ने 42, डिलारी ने 32, मूंढापांडे ने 22, बिलारी ने 25 और अर्बन ने 493 महिलाओं की नसबंदी करने में कामयाबी पाई है। इन सभी सीएचसी ने केवल एक-एक पुरुष को नसबंदी के लिए तैयार किया, उनकी नसबंदी की है।
लाभार्थी, आशा और डॉक्टर को मिलती प्रोत्साहन राशि
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक रघुवीर सिंह ने बताया कि नसबंदी के मामले में लाभार्थी, आशा और डॉक्टर को भी प्रोत्साहन राशि मिलती है। इसमें यदि महिला नसबंदी कराती है तो उसे 2,000 रुपये और आशा को 300 रुपये मिलते हैं। इसी तरह पुरुष की नसबंदी पर लाभार्थी को 3,000 रुपये और आशा को 400 रुपये मिलते हैं। नसबंदी करने वाले डॉक्टर को भी 200 रुपये प्रति केस भुगतान होता है।
लक्ष्य के सापेक्ष नसबंदी की प्रगति बहुत कम है। कुंदरकी सीएचसी की प्रगति बिल्कुल बेकार है। इसीलिए यहां के अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस भी दिया गया है। नसबंदी की प्रगति तब बढ़िया होगी, जब इसमें सीएचसी-पीएचसी अधीक्षक खुद रुचि लेकर आशाओं को भी जन जागरूकता के लिए प्रेरित करें, उनकी समस्या को समझें और सहयोग करें।- रघुवीर सिंह, जिला कार्यक्रम प्रबंधक-एनएचएम