Kanpur: एससीआर से शहर के बाहर होने पर कारोबारियों ने जताई नाराजगी, बोले- राजस्व में जितनी हिस्सेदारी, विकास में उतनी हो भागीदारी
कानपुर, अमृत विचार। राज्य राजधानी क्षेत्र (एससीआर) से शहर के बाहर होने पर चौक सराफा से जुड़े कारोबारियों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि शहर को राजस्व के अनुसार विकास के लिए धन नहीं मिलता है। इसलिए अब शहर की जितनी राजस्व में हिस्सेदारी, उसी के मुताबिक विकास में भागीदारी होनी चाहिए। कारोबारियों ने एससीआर से हटाने के बदले पर शहर को विशेष दर्जा दिए जाने और शहर में लंबित और प्रस्तावित विकास योजनाएं तेजी से पूरी किए जाने की मांग की।
सराफा कारोबारियों ने कहा कि शहर को इस वक्त विकास के बड़े पैकेज की बड़ी जरूरत है। शहर को जो भी योजनाएं मिली हैं वह काफी धीमी गति से चल रही हैं। ऐसे में धीमा विकास और बड़ी योजनाएं छिन जाने से शहर लगातार पिछड़ता जा रहा है। इससे शहर अपनी पुरानी पहचान खोता जा रहा है। इसका असर रिेटेल और थोक दोनो तरह के व्यापार पर पड़ रहा है। खासतौर पर पुरानी थोक मंडियां व सराफा कारोबार सबसे ज्यादा प्रभावित है। इसकी सबसे बड़ी वजह पार्किंग और बेहतर यातायात व्यवस्था न होना है। यदि एससीआर का दर्जा शहर को मिल जाता तो इन समस्या से छुटकारा मिल सकता था।
प्रदेश सरकार को गौतमबुद्ध नगर के बाद सबसे अधिक राजस्व कानपुर से मिलता है। ऐसे में यदि दोनों ही जिलों की तुलना की जाए तो शहर के साथ होने वाला भेदभाव साफ दिखाई देता है। शहर को उसका हक मिलना चाहिए। जितना राजस्व में भागीदारी उतनी शहर में विकास की हिस्सेदारी होनी चहिए। - आशू शर्मा, अध्यक्ष, कानपुर महानगर बुलियन एंड सराफा एसोसिएशन
शहर की पुरानी बाजारें अपना अस्तित्व खोती जा रही है। आधारभूत समस्याओं की वजह से यह बाजारें खत्म होने की कगार पर हैं। यदि एससीआर में शहर शामिल हो जाता तो कम से कम यातायात सुधर जाता। इससे खरीदार बाजारों की ओर आसानी से रुख करता और कारोबार बढ़ता। - जलज द्विवेदी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष कानपुर महानगर बुलियन एंड सराफा एसोसिएशन
शहर से उसका हक छीना गया है तो उसके बराबर भरपाई भी होनी चाहिए। कानपुर के साथ ही हमेशा भेदभाव क्यों होना चाहिए। इसके पीछे की वजह तलाशनी बहुत जरूरी है। शहर के साथ हर सरकार में सौतेलापन अब दुख देने लगा है। शहर को विशेष दर्जा मिलना बहुत जरूरी है। - रजनीश अग्निहोत्री, सराफा कारोबारी
शहर को यदि एससीआर से दूर किया गया हे तो कम से कम शहर की पुरानी बाजारों को दुरुस्त करने के लिए कोई योजना देनी चाहिए। शहर से आसपास के जिलों में भी कारोबार होता है। ऐसे में शहर का विकास होना बहुत जरूरी है। जल्द ही शहर को किसी बड़ी विशेष विकास योजना से जोड़ा जाना चाहिए। - विकास वर्मा, सराफा कारोबारी