जानिये कौन थे काले खां, जिनके नाम पर बने चौक को अब बिरसा मुंडा के नाम पर जायेगा जाना

जानिये कौन थे काले खां, जिनके नाम पर बने चौक को अब बिरसा मुंडा के नाम पर जायेगा जाना

नई दिल्ली। सराय काले खां आईएसबीटी चौक का नाम बदलकर अब आदिवासी नेता बिरसा मुंडा के नाम पर रखा गया है, आइये जानते हैं काले खां के बारे में जिनके नाम पर रखा गया था सराय का नाम काले खां।

दरअसल, शुक्रवार को सराय काले खां आईएसबीटी के बाहर के चौक का नाम बदलकर आदिवासी नेता एवं स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा के नाम पर रख दिया गया है। इस बात की घोषणा केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल ने दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में सराय काले खां अंतरराज्यीय बस टर्मिनस के पास बांसेरा उद्यान में आयोजित एक कार्यक्रम में की, जहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिरसा मुंडा की प्रतिमा का अनावरण किया।

अंग्रेजों के खिलाफ छेड़ी थी जंग
बिरसा मुंडा की 3,000 किलोग्राम वजनी प्रतिमा का अनावरण आदिवासी नेता की 150वीं जयंती के अवसर पर किया गया, जिन्होंने 19वीं शताब्दी के अंत में बंगाल प्रेसीडेंसी (अब झारखंड) में शुरू हुए आदिवासी आंदोलन का नेतृत्व किया था। उनके इस कदम से वह देश के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण हस्ती बन गये। मनोहर लाल ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा देश के आदिवासी समुदाय के लिए एक बहुत बड़ा नाम हैं, क्योंकि उन्होंने अंग्रेजों द्वारा उनके प्राकृतिक संसाधनों को छीनने के खिलाफ एक बड़ा संघर्ष किया।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ऐसे प्रेरक व्यक्तित्व की स्मृति को संरक्षित करने के लिए, खासकर युवाओं के लिए, भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा का अनावरण केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया और आईएसबीटी चौक का नाम उनके नाम पर रखा गया है।’’ सराय काले खां का इतिहास मध्यकालीन युग का है। यह राजधानी के व्यस्त इलाकों में से एक है, खास तौर पर आईएसबीटी के कारण, जहां से उत्तर भारत के विभिन्न स्थानों के लिए बसें मिलती हैं। 

कौन थे काले खां
मिली जानकारी के मुताबिक सराय का अर्थ आश्रय स्थल से है और सराय के साथ नाम जुड़ा काले खां का, जिसके बाद इस जगह को लोग सराय काले खां कहने लगे। काले खां 14वीं शताब्दी के एक सूफी संत थे और इन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम सराय काले खां पड़ा। 

सराय के साथ जब काले खां का नाम जुड़ा उस समय शेरशाह सूरी का शासन काल हुआ करता था। कहा यह जाता है कि शेरशाह सूरी ने अपने शासन काल में देश के कई हिस्सों में सड़कों का जाल विछाने का कार्य किया था। साथ ही सड़कों पर जगह-जगह सराय का निर्माण कराया था। जिससे राहगीरों को आराम करने की जगह मिल सके। उत्तर भारत के विभिन्न स्थानों से दिल्ली आने वाले राहगीर सबसे पहले सराय काले खां में आराम किया करते थे। इसके अलावा एक कहानी इस जगह से और जुड़ी होना बताई जा रही है। जिसमें इस जगह का नाम एक पुराने गांव के नाम पर रखे जाने की बात भी सामने आ रही है।

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