बरेली: सभी इंजीनियर सुन लें, अगली बार गड़बड़ी मिली तो कार्यालय के बाहर नहीं जा पाओगे- मेयर

बरेली: सभी इंजीनियर सुन लें, अगली बार गड़बड़ी मिली तो कार्यालय के बाहर नहीं जा पाओगे- मेयर
अपने कार्यालय में इंजीनियरों के साथ बैठक करते मेयर।

बरेली, अमृत विचार। मेयर डॉ. उमेश गौतम ने शुक्रवार को विकास कार्यों की समीक्षा बैठक के दौरान निर्माण विभाग, जलकल विभाग के अधिकारी, इंजीनियरों को हिदायत देते हुए कहा कि कार्यशैली में सुधार न करने वालों पर अब कार्रवाई की जाएगी। लेटलतीफ होने के कारण नगर निगम की छवि धूमिल हो रही है। लापरवाही की हद है कि जो काम छह माह पहले स्वीकृत हो चुके हैं, उनका टेंडर अब तक नहीं हुआ है। इसके कारण अभी तक काम शुरू नहीं हो पाया है।

मेयर ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जो फाइल लंबित हैं, उनकी टेंडर प्रक्रिया सोमवार से शुरू हो जाए। सभी इंजीनियर इतना जान लें कि अगर अगली बार समीक्षा बैठक में गड़बड़ी पाई गई तो कार्यालय से बाहर नहीं जा पाओगे। सख्त कार्रवाई झेलने के लिए तैयार रहें, क्योंकि कई बार हम समझा चुके हैं। आप लोगों को बात समझ में नहीं आ रही है।

मेयर ने दोपहर में कार्यालय में विभिन्न विभागों के इंजीनियरों को समीक्षा बैठक में बुलाया। उन्होंने सबसे पहले मुख्य अभियंता मनीष अवस्थी से जो काम नहीं हुए उनकी सूची तलब की। जब मेयर ने एक- एक कर फाइलों को पलटना शुरू किया और इंजीनियरों से सवाल जवाब किए तो कुछ ने चुप्पी साध ली।

इस पर मेयर ने कहा कि आप लोगों के कारण नगर निगम की छवि धूमिल हो रही है। खुद आप लोग सोचिए कि पहले के काम अभी अटके हुए हैं और 77 नए कामों की सूची आ गई है, जो काम काफी समय से शुरू नहीं हुआ है, इससे क्या संदेश जाएगा। यह लापरवाही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगले सप्ताह में टेंडर और काम दोनों शुरू हो जाने चाहिए। सोमवार से वह खुद निगरानी करेंगे, देखेंगे कहां काम शुरू हुआ है। अगली बार की समीक्षा बैठक में किसी भी प्रकार लापरवाही मिली तो कार्रवाई की जाएगी। मुख्य अभियंता मनीष अवस्थी, जलकल महाप्रबंधक सौरभ श्रीवास्तव, एक्सईएन राजीव कुमार राठी, दिलीप कुमार शुक्ला आदि मौजूद रहे।

हर वार्डों में जाकर खराब सड़कों की सूची बनाएं
मेयर ने कहा कि 80 वार्डों में अधिकारी मौके पर जाएं और खराब सड़कों, नालों की सूची बनाएं। जाे सड़कें धार्मिक स्थल और स्कूल को जाती हैं। उसकी रिपोर्ट तैयार कर निर्माण कराएं। जिन जगहों पर जलभराव होता है, उन कारणों का पता करें और समस्या का निदान कराएं। अगर कार्य स्वीकृत होने के बाद भी टेंडर नहीं हुए तो इंजीनियर जिम्मेदार होंगे। अक्सर यह देखने को मिलता इस कार्यालय से उस कार्यालय फाइलें घूमती रहती हैं।

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