मुरादाबाद : सत्ता पक्ष ने बजट को बताया मील का पत्थर तो विपक्ष ने लालीपाप

भाजपा नेताओं ने कहा बजट में हर वर्ग के हितों का ख्याल, विपक्षी नेताओं ने कहा निराशाजनक रहा बजट

मुरादाबाद : सत्ता पक्ष ने बजट को बताया मील का पत्थर तो विपक्ष ने लालीपाप

मुरादाबाद,अमृत विचार। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के बजट में कई घोषणाएं की गई। महंगाई कम करने के उपाय हुए तो कई वस्तुओं के दाम कम हुए। सोने, चांदी के गहने पर इम्पोर्ट ड्यूटी कम करने की वित्तमंत्री ने घोषणा की। हर वर्ग को साधने की कोशिश बजट में की गई। सत्तापक्ष ने बजट को मील का पत्थर और दूरगामी परिणाम वाला बताया तो विपक्ष ने इसे लालीपाप और झुनझुना बताकर खारिज कर दिया। विपक्ष के नेताओं का कहना है कि इस बजट से किसी का भला होने वाला नहीं है। यह उद्योगपतियों के हित में हैं।

बजट सकारात्मक है। 500 कंपनियों के साथ नौजवानों को रोजगार सृजन के लिए उठाए गए कदम से बेरोजगारी की समस्या काफी हद तक दूर होगी। एमएसएमई के माध्यम से रोजगार सृजन करने के लिए मुद्रा लोन में प्रावधान की सराहना करते हैं। यह बजट विकसित भारत के निर्माण में मजबूत कदम है।-विनोद अग्रवाल, महापौर

यह जनकल्याणकारी और जनता को समर्पित बजट है। इसमें किसानों, महिलाओं, युवाओं सभी वर्ग के लिए कल्याणकारी प्रावधान किए गए हैं। इसमें मध्यम वर्ग का भी ध्यान रखा गया है। औद्योगिक विकास को भी गति दी गई है। देश की अर्थव्यवस्था को इस बजट से और मजबूती मिलेगी।-आकाश पाल, जिलाध्यक्ष, भाजपा

यह बजट जनविरोधी है। इसमें किसानों, नौजवानों, सामान्य जन का कोई ध्यान नहीं दिया गया है। युवाओं के रोजगार का भी ध्यान इसमें नहीं रखा गया है। इस बजट से कुल मिलाकर सभी को निराशा मिली है। इसमें कुछ भी नया नहीं है।-जयवीर सिंह यादव, जिलाध्यक्ष, सपा

बोगस बजट है। गरीबों के लिए इसमें कोई प्रावधान नहीं किया गया है। कमजोर तबके को मजबूती देने के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया है। इस बजट से सभी को मायूसी मिली है। बजट के नाम पर सपने दिखाए गए हैं।-असलम खुर्शीद, जिलाध्यक्ष, कांग्रेस

देश की जनता के साथ बजट एक छलावा है। इसमें मेहनतकश मजदूरों, युवाओं, किसानों, बेरोजगारों के लिए कोई योजना नहीं है। चुनाव के दौरान जिस गारंटी की बात नरेंद्र मोदी के नाम पर की गई वह बजट में कहीं नहीं दिख रहा है।-सुनील आजाद, जिलाध्यक्ष, बसपा

बजट में जनता की उम्मीदों को ठेंगा दिखा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा है। नौकरी पेशा को टैक्स स्लैब में बड़ी छूट की उम्मीदों को झटका लगा है। किसानों, श्रमिकों, गरीबों के उत्थान की कोई बात नहीं है।-तुंगीश यादव, पूर्व जिलाध्यक्ष, समाजवादी शिक्षक सभा

केंद्रीय वित्तमंत्री ने दलितों के कल्याण के लिए कोई व्यवस्था बजट में नहीं किया। सरकारी कार्यालय में आउटसोर्सिंग से कार्य कराएंगे लेकिन सरकारी नौकरी नहीं देंगे। बढ़ती महंगाई को देखते हुए आउटसोर्सिंग, संविदा कर्मचारियों का वेतन पैकेज बढ़ाना चाहिए था। बजट पूंजीपतियों के लिए है।-राजेंद्र वाल्मीकि, जिला चैयरमैन, अनुसूचित जाति जनजाति विभाग कांग्रेस कमेटी

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