उप्र: अब इन दो नई प्रजातियों का गन्ना उगाएंगे किसान

लखनऊ, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर ने कोशा. 14233 और भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ ने कोलख. 14201 गन्ने की प्रजाति विकसित की है, जिसे खेती के लिए बीज गन्ना एवं गन्ना किस्म स्वीकृत उप समिति ने मंजूरी दे दी है। अब प्रदेश के किसान गन्ने की इन प्रजातियों का खेती के …

लखनऊ, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर ने कोशा. 14233 और भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ ने कोलख. 14201 गन्ने की प्रजाति विकसित की है, जिसे खेती के लिए बीज गन्ना एवं गन्ना किस्म स्वीकृत उप समिति ने मंजूरी दे दी है। अब प्रदेश के किसान गन्ने की इन प्रजातियों का खेती के लिए उपयोग कर सकते हैं।

सोमवार को आयुक्त, गन्ना एवं चीनी उद्योग, संजय आर. भूसरेड्डी ने अधिकारियों के साथ हुई बैठक में इन दोनों प्रजातियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश में नए रोग एवं कीटों का प्रकोप रोकने के लिए यह आवश्यक है कि प्रदेश में स्वीकृत गन्ने की किस्मों की ही बुवाई की जाए। किसान दूसरे प्रदेशों या विदेशों से गन्ने के टुकड़े लाकर उगा लेते है जो प्रदेश के लिए उपयुक्त नहीं है।

उन्होंने कहा कि कतिपय चीनी मिलें भी अधिक चीनी परता के शुरुआती आंकड़ों के आधार पर लालच में पड़कर ऐसी किस्मों को अपनाने का प्रयास करती हैं। बैठक में भूसरेड्डी ने बताया कि वर्तमान में गन्ना किस्म को. 0238 में लालसड़न रोग के बढ़ते आपतन को देखते हुए गन्ना किसानों को दूसरी गन्ना किस्मों को अपनाना आवश्यक है और उपज के आंकड़ों के अनुसार इस कड़ी में ये दोनों नव विकसित किस्में सामान्य खेती के लिए सर्वथा उपयुक्त होंगी।

बैठक में यह निर्णय लिया गया कि को. 0118 एवं को. 0239 एक ही गन्ना किस्म हैं। इसलिए स्वीकृत किस्मों की सूची में से को.0239 का नाम विलोपित कर दिया जाएगा और को. 0239 का जो भी क्षेत्र सर्वेक्षित किया गया है उसे को. 0118 मान लिया जाएगा। उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद द्वारा बताया गया कि गन्ना किस्म को.पी.के. 05191 में चीनी परता कम है तथा लाल सड़न रोग का भी प्रकोप बढ़ रहा है। इसलिए इन किस्मों को हटाने का निर्णय लिया गया।