बाराबंकी नाग देवता मेला: महात्मा बुद्ध ने यहीं पिलाया था सांप को दूध-प्रसाद की मटकी घर में रखने से नहीं होती है कोई अनहोनी    

राज्यमंत्री सतीश चंद्र शर्मा ने किया उद्घाटन, 350 पुलिसकर्मियों के जिम्मे सुरक्षा

बाराबंकी नाग देवता मेला: महात्मा बुद्ध ने यहीं पिलाया था सांप को दूध-प्रसाद की मटकी घर में रखने से नहीं होती है कोई अनहोनी    

सचिन कुमार/ सतरिख/बाराबंकी, अमृत विचार। मजीठा गांव में प्रसिद्ध नाग देवता का मेला शनिवार से शुरु हो गया है। राज्यमंत्री सतीश चंद्र शर्मा ने मेले का उद्घाटन किया। इस दौरान उनके साथ जिला पंचायत अध्यक्ष राजरानी रावत और पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष संतोष सिंह भी मौजूद रहे। इससे पहले अपर पुलिस अधीक्षक अखिलेश नारायण सिंह, एसडीएम सदर विजय कुमार द्विवेदी ने पुलिस बल के साथ बंकी ब्लाॅक के नाग देवता मंदिर पहुंच कर मंदिर परिसर में सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया है। सुरक्षा व्यवस्था के लिए निरीक्षक, उपनिरीक्षक, महिला व पुरुष आरक्षी समेत 350 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। इसके अलावा अग्निशमन दल सतरिख और थाने का भी पुलिस बल मेला में मौजूद रहेगा। 

महात्मा बुद्ध ने सांप को पिलाया था दूध, तब से शुरु हुई प्रथा
मंजीठा में नाग देवता मेले की शुरुआत के पीछे एक पुरानी कहानी जुड़ी हुई है। स्थानीय लोगों के अनुसार कहा जाता है कि जिस स्थान पर नाग देवता का भव्य मंदिर बना हुआ है,वहां कभी घना जंगल हुआ करता था। उस जंगल में एक विषैला सर्प रहा करता था। जो कई लोगों का डस चुका था। सर्प के भय से लोग जंगल के किनारे भी नहीं जाते थे। 

मेला समिति के अध्यक्ष देवकीनंदन वर्मा बताते हैं कि एक दिन साधु के भेष में महात्मा गौतम बुद्ध जंगल की ओर से गुजरे। उस समय वहां कुछ लोग जानवर चरा रहे थे। उन्होंने महात्मा बुद्ध को सर्प का हवाला देकर जंगल में जाने से रोका। यह बात सुनकर महात्मा बुद्ध मुस्कुराए और जंगल में चले गए। काफी देर तक वापस नहीं लौटे तो चरवाहों को चिंता हुई, उन्होंने सोचा बाबा भी सर्प का शिकार तो नहीं हो गए, थोड़ी देर बात महात्मा बुद्ध मुस्कराते हुए सर्प के साथ जंगल के बाहर निकले। उन्होंने चरवाहों के साथ ही गांव वालों को भी मौके पर बुलवाया, और उनसे सांपों पर जुल्म न करने का वचन लिया। महात्मा बुद्ध ने ग्रामीणों से कहा कि मैंने सांप को दूध पिलाकर उसके गुस्से को शांत कर दिया है। अब यह मनुष्यों को नहीं डसेगा,बल्कि उनका कल्याण करेगा। इसके बाद सर्प जंगल में चला गया और महात्मा बुद्ध भी वहां से आगे बढ़ गए। माना जाता है कि तभी से मंजीठा में नाग देवता का मेला लगना शुरू हो गया। वर्तमान में नाग देवता का भव्य मंदिर बना हुआ है। इसमें नाग बाबा की बांबी (मठ) है। श्रद्धालु मिट्टी की छोटी-छोटी मटकियों में दूध चावल भरकर मठ पर चढ़ाकर मनौती मांगते हैं। मान्यता है कि अषाढ़ की पूर्णिमा को दूध चावल चढ़ाने से मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं। मटकी को प्रसाद स्वरूप श्रद्धालु घरों में ले जाकर चारों कोनों में रख देते हैं। उनका कहना है कि मटकी को घर में होने से सर्प नहीं आते हैं।

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बाराबंकी हैदरगढ़ मार्ग पर वाहनों का आवागमन बंद 
मेला के दौरान मंजीठा के पास बाराबंकी हैदरगढ़ मार्ग पर वाहनों का आवागमन बंद रहेगा। हैदरगढ़ की तरफ से बाराबंकी जाने वाले वाहन हरख-सतरिख मार्ग से होकर बाराबंकी पहुंचेंगे। बाराबंकी से हैदरगढ़ की ओर जाने वाले वाहन सतरिख-हरख मार्ग से होकर गंतव्य स्थान को पहुंचेंगे। पुलिस की तरफ से नौ स्थानों पर बैरियर भी लगाए गए हैं।

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