आज शब्बीर पे क्या आलम ए तन्हाई है...नम आंखों से दफन किए ताजिये

बाराबंकी जिले में निकले जुलूस, दिनभर चला मातम-सुरक्षा के रहे कड़े बंदोबस्त, ड्रोन से की गई निगरानी

आज शब्बीर पे क्या आलम ए तन्हाई है...नम आंखों से दफन किए ताजिये

बाराबंकी, अमृत विचार। आज शब्बीर पे क्या आलम एक तन्हाई है... शाहे कर्बला लीजिए सलाम। बुधवार को मोहर्रम के जुलूस में यह सदाएं गूंजती रहीं। काले लिबास में नंगे पैर या हुसैन की आवाज बुलंद करते सीनाजनी से मातम मनाते हुए नौजवान ताजियों क सुपुर्द एक खाक करने कर्बला पहुंचे। शहर से लेकर कस्बा, गांवों में जुलूस निकाल कर गमगीन माहौल में नम आंखाें से ताजिये दफन किए गए। सुरक्षा को लेकर कड़े बंदोबस्त रहे। जिले भर में ड्रोन के जरिए निगरानी की जाती रही।

मोहर्रम की दसवीं तारीख यौम-एक-आशूर के दिन शहर में या हुसैन या हुसन की सदाएं गूंजतीं रहीं। बुधवार को मुस्लिम समुदाय ने अपने-अपने  तरीकों से हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों को खिराजे अकीदत  पेश की। फजलुर्रहमान पार्क में ताजिये के जुलूस के साथ अन्य मोहल्लों के चौक पर रखे ताजिये जुलूस में शामिल हुए। जुलूस सट्टी बाजार, घंटाघर, धनोखर चौराहा, बेगमगंज होते हुए कर्बला पहुंचे और गमगीन माहौल में देर रात तक ताजिया दफन किए गए। इस दौरान मुस्लिम समुदाय के युवाओं ने परंपरागत हथियारों के साथ युद्ध कला कौशल का प्रदर्शन किया।

जुलूस में शामिल लोग इमाम हुसैन की याद में कलाम पढ़ते आगे बढ़ते रहे। बंकी, आलापुर, जहांगीराबाद, बिशुनपुर, कुर्सी, रामनगर, अहमदपुर, टिकैतनगर, सफदरगंज, सिद्धौर, कोठी, सुबेहा, हैदरगढ़ सहित जिले भर में जुलूस निकाले गए।

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