कोरांव की बरकतुन बनीं महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत, आजीविका मिशन से जुड़कर कर रहीं ये काम  

कोरांव की बरकतुन बनीं महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत, आजीविका मिशन से जुड़कर कर रहीं ये काम  

बब्बन तिवारी/कोरांव/नैनी/ प्रयागराज, अमृत विचार। कहते हैं कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयां हो, हिम्मत नही हारनी चाहिए। ऐसी ही हिम्मत न हारने वाली महिला हैं कोरांव की बरकतुन निशा। इन्होंने अपनी लगन और जज्बे से खुद को आगे बढ़ाते हुए अपने परिवार को संभाला और अब गांव की महिलाओं में भी अपने पैरों पर खड़े होने का जूनून पैदा कर रही है। दरअसल बरकतुन निशा ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत संचालित समूह से जुड़ी हैं। 

समूह से जुड़ने के पहले बरकतुन गरीबी में जीवन का गुजारा कर रही थीं। कम उम्र में शादी हो गई। पति मोहम्मद इरफान पल्लेदारी काम कर परिवार का जीवन भरण पोषण कर रहे थे। इसी बीच बिहार की सीआरपी दीदी आईं, जिन्होंने इन्हें समूह से जोड़ कर आगे बढ़ने के बारे में बताया। इस पर खीरी ग्राम सभा निवासिनी बरकतुन समूह से जुड़ी गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाने लगीं। इनके काम से प्रभावित होकर इन्हें समूह सखी के रूप में चुना गया। समूह से 15000 रुपए ऋण लेकर बरकतुन ने छोटा सा सिलाई का रोजगार शुरू कर दिया। साथ ही समूह में जुड़े लोगों को सिलाई का प्रशिक्षण देने लगीं। 

बरकतुन ने ग्राम संगठन से ऋण लेकर प्रेरणा फ्रॉक प्रोडक्शन यूनिट का कार्य शुरू किया। समूह के सदस्यों द्वारा फ्रॉक बनाने कार्य किया जाता है। मौजूदा समय में बरकतुन के प्रेरणा फ्रॉक यूनिट में 13 अलग-अलग स्वयं सहायता समूह की सदस्य प्रशिक्षण ले रही हैं। बरकतुन निशा सिलाई प्रशिक्षण से व्यक्तिगत 4000 से 5000 रुपए तक लाभ कमा रही हैं। उन्होंने समूह के सदस्यों से सिलाई कराकर उनका भी रोजगार बढ़ाया, उन्हें 8000 से 10000 रुपए तक की आय फ्रॉक बेचकर हो जाती है। इंटरमीडिएट तक पढ़ीं बरकतुन निशा महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं। 

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