मुरादाबाद : जिला अस्पताल में आगजनी से बचाव के पर्याप्त इंतजाम नहीं

2022 में हैंडओवर हुआ था चार मंजिला मल्टीस्टोरी भवन, अब तक नहीं लग पाया स्प्रिंकलर सिस्टम

मुरादाबाद : जिला अस्पताल में आगजनी से बचाव के पर्याप्त इंतजाम नहीं

मुरादाबाद, अमृत विचार। जिला अस्पताल को अग्निशमन विभाग से एनओसी न मिलने का प्रमुख कारण चार मंजिला इमारत में स्प्रिंकलर न लगा होना रहा है। वैसे इस इमारत के दो फ्लोर, भूतल व प्रथम तल पर स्प्रिंकलर लगाने की टेक्निकल स्वीकृति शासन से मिल चुकी है। जबकि, यह मल्टीस्टोरी वाली बिल्डिंग अस्पताल प्रशासन को 2022 में कार्यदायी संस्था ने हैंडओवर की थी। फिलहाल, अग्निशमन विभाग का कहना है कि जब इस मल्टीस्टोरी वाली बिल्डिंग में फायर सेफ्टी सिस्टम लग जाएगा तभी पूरे अस्पताल की एक साथ एनओसी देंगे, अलग-अलग भवन/वार्ड के लिए एनओसी नहीं देंगे।

प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संगीता गुप्ता का कहना है कि ट्रामा सेंटर में फायर सेफ्टी के सभी इंतजाम हैं। सेंसर लगे हैं। हाईड्रेंट सिस्टम भी लगा है, उसी से पानी लेकर आग बुझाई गई थी। वैसे एक मंजिल भवन में स्प्रिंकलर की जरूरत नहीं होती है। उन्होंने बताया कि मल्टीस्टोरी वाली चार मंजिला इमारत में स्प्रिंकलर लगने हैं, इस भवन को कार्यदायी संस्था उप्र आवास विकास परिषद ने बनाया था। जब यह भवन बना उस समय स्प्रिंकलर सिस्टम लगाने का प्रावधान नहीं था। 

यह चार मंजिला इमारत कार्यदायी संस्था ने वर्ष 2022 में जिला अस्पताल को हैंडओवर किया था। उस समय तत्कालीन प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक ने अग्निशमन विभाग को एनओसी के लिए पत्राचार किया था तो मुख्य अग्निशमन अधिकारी ने शर्त लगा दी थी कि चार मंजिला इमारत में स्प्रिंकलर सिस्टम लगाओ, तभी एनओसी मिलेगी। उसी दौरान से एनओसी लेने की प्रक्रिया के तहत स्वास्थ्य महानिदेशालय से पत्राचार चल रहा है।

नतीजा यह हुआ है कि अभी तक चार मंजिला इमारत में से दो फ्लोर, भूतल व प्रथम तल के भवन स्प्रिंकलर सिस्टम लगाने की टेक्निकल स्वीकृति शासन से मिल गई है। लेकिन, डॉ. संगीता गुप्ता ने कहा कि वह शासन से धनराशि प्राप्त होने का इंतजार नहीं करेंगी और स्प्रिंकलर सिस्टम लगाने का काम प्रारंभ कराएंगी। इस काम को अगले एक-डेढ़ महीने में पूरा कर लेंगी। इसके बाद शेष दो फ्लोर, तीसरे व चौथी मंजिल के भवन पर भी स्प्रिंकलर सिस्टम लगाने की स्वीकृति के लिए शासन में पत्राचार करेंगे।

जान जोखिम में डाल सुरक्षित किए थे ऑक्सीजन सिलेंडर
प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक ने कहा, आग बुझने के दो घंटे बाद हम लोग ट्रामा सेंटर में प्रवेश कर पाए हैं। इतना अधिक धुआं और दुर्गंध थी कि सांस लेना मुश्किल हो रहा था। आग लगने के दौरान बैटरियां दग रही थीं और ट्रामा सेंटर के अंदर ऑक्सीजन के चार सिलेंडर भी रखे थे। इसी बीच में जान जोखिम में डालकर मैनेजर ने सभी चारों ऑक्सीजन सिलेंडर सुरक्षित कर लिया था। नहीं तो और अधिक बड़ा ब्लास्ट हो सकता था। सीएमएस ने कहा, मेडिकल स्टॉफ, रोगी, ऑक्सीजन सिलेंडर और सीटी स्कैन मशीन...सब सुरक्षित है। कोई जनहानि नहीं हुई।

100 किलोवॉट का यूपीएस जला
प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक ने कहा,बिजली की लाइन में कोई फाल्ट नहीं था। हादसा बैटरी में शॉर्ट-सर्किट की वजह से हुआ है। गनीमत रही कि टेक्नीशियन ने सीटी स्कैन मशीन की पॉवर काट कर लाइन बंद कर दी थी तो उम्मीद है कि यह मशीन सुरक्षित होगी। 100 किलोवॉट का यूपीएस जल गया है, उसी रूम में 34 बैटरियां लगी थीं जो जल गई हैं।

जिला अस्पताल को फायर सेफ्टी के संबंध में हमने एनओसी क्यों नहीं दी है, यह बात अस्पताल प्रशासन को मालूम है। उन्हीं से कारण पूछो।- कृष्णकांत ओझा, मुख्य अग्निशमन अधिकारी

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