लखनऊ: पीजीआई में मूत्राशय के रास्ते से की गई प्रोस्टेट कैंसर की रोबोटिक सर्जरी-डॉक्टर्स ने किया ये बड़ा दावा 

लखनऊ: पीजीआई में मूत्राशय के रास्ते से की गई प्रोस्टेट कैंसर की रोबोटिक सर्जरी-डॉक्टर्स ने किया ये बड़ा दावा 

लखनऊ, अमृत विचार। एसजीपीजीआई के डॉक्टरों ने रोगी के पेशाब की थैली के रास्ते से प्रोस्टेट कैंसर की सफल रोबोटिक सर्जरी कर इतिहास रच दिया। डॉक्टरों का दावा है कि विश्व में पहली बार इस तकनीक से प्रोस्टेट ग्रंथि की सर्जरी हुई है। यह ऑपरेशन संस्थान के यूरोलॉजी विभाग के डॉ. उदय प्रताप सिंह के निर्देशन किया गया है। इस तकनीक का नाम ट्रांसवेसिकल मल्टीपोर्ट रोबोटिक रेडिकल प्रॉस्टेटेक्टॉमी दिया गया है। यह तकनीक चिकित्सा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम है। इससे प्रोस्टेट कैंसर मरीजों का जीवन और बेहतर होगा।

यूरोलॉजी विभाग के डॉ. यूपी सिंह ने बताया कि रोगी प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित था। परिवारीजनों की सहमति के बाद रोबोट से ऑपरेशन करने का निर्णय लिया। गया। इसमें ऑपरेशन के बाद पेशाब का रिसाव, यौन शक्ति समेत दूसरे जोखिम की आशंका बिल्कुल न के बराबर होती है। जबकि, सामान्य तकनीक से ऑपरेशन करने पर इन समस्याओं का जोखिम अधिक रहता है। डॉ. उदय का कहना है उन्होंने पहली बार पेशाब की थैली के भीतर जाकर प्रोस्टेट कैंसर की रोबोट से सफल सर्जरी की है। प्रोस्टेट को पूरा निकाल दिया है। मरीज स्वस्थ हैं। इस तकनीक से रोगी जल्द ठीक होने के साथ कम दर्द समेत दूसरे जोखिम बहुत कम होते हैं। पीजीआई में इस ऑपरेशन में करीब दो लाख का खर्च आया है। जबकि कॉरपोरेट अस्पतालों में चार लाख से अधिक लगेगा।

इस तकनीक से फायदे
डॉ. उदय प्रताप सिंह ने बताया कि समान तरीके से की जाने वाली प्रोस्टेट सर्जरी में पेशाब की थैली के बाहर से जाकर ऑपरेशन करने में आसपास के ऊतक और नसें क्षतिग्रस्त हो जाती है। इसमें जब मरीज की कैथेटर निकालने के बाद रोगियों में पेशाब टपकने और यौन शक्ति कमजोर होने का खतरा अधिक रहता है। जबकि ट्रांसवेसिकल रोबोटिक रेडिकल प्रॉस्टेटेक्टॉमी में मूत्राशय के भीतर जाकर ऑपरेशन किया गया है। इसमें उतकों और नसों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। इससे रोगियों में पेशाब के रिसाव और यौन शक्ति प्रभावित होने की गुंजाइश न के बराबर होती है।

ये भी पढ़ें -लखनऊ: ट्रॉमा के डॉक्टरों पर तीमारदार से अभद्रता का आरोप, वीडियो वायरल