Bareilly news: भविष्य पर पेपर लीक का ग्रहण...बरेली में एक लाख युवा प्रभावित, पांच हजार से ज्यादा की निकली उम्र 

पिछले एक साल में रद्द हुई चार प्रमुख परीक्षाओं पर प्रमुख कोचिंग संस्थानों का मोटा आंकड़ा, लटके हुए तमाम युवाओं के चेहरे

Bareilly news: भविष्य पर पेपर लीक का ग्रहण...बरेली में एक लाख युवा प्रभावित, पांच हजार से ज्यादा की निकली उम्र 

बरेली, अमृत विचार। आरओ/एआरओ, पुलिस, नीट और अब यूजीसी नेट, पिछले एक साल में यूपी में चार प्रमुख प्रवेश परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं। प्रमुख कोचिंग संस्थानों के आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो बरेली में ही इन पेपर लीक की वजह से एक लाख से ज्यादा युवा प्रभावित हुए हैं। इनमें अनुमानित तौर पर पांच हजार युवा ऐसे हैं जिनकी पेपर लीक और परीक्षा रद्द होने के खेल में आयु सीमा खत्म हो गई है।

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से आयोजित नीट और यूजीसी नेट पेपर लीक ने युवाओं को सबसे तगड़ा झटका दिया है। राष्ट्रीय स्तर की इन परीक्षाओं में शामिल होने वालों के चेहरे सारे सपने बिखर जाने के बाद आजकल लटके हुए हैं। वे और उनके परिवार के लोग तय नहीं कर पा रहे हैं कि आगे क्या किया जाए। सरकार के पास अब तक उनके लिए ऐसा कोई जवाब नहीं है जो उन्हें कोई दिलासा दे सके।

विशेषज्ञों का मानना है कि इन घटनाओं के पीछे परीक्षा प्रणाली की सुरक्षा में कमियां, प्रश्नपत्र तैयार करने और वितरित करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और परीक्षा केंद्रों पर निगरानी जैसी कई प्रमुख कमियां हैं जिन्हें ठीक किए बगैर सुरक्षित परीक्षा की उम्मीद करना बेमानी है।

सुरक्षित परीक्षा प्रणाली सरकार की जिम्मेदारी
बरेली कॉलेज के बॉटनी विभाग के अध्यक्ष और चीफ प्रॉक्टर डॉ. आलोक खरे कहते हैं कि पेपर लीक की लगातार घटनाओं ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर किया है कि हमारी शिक्षा प्रणाली में सुधार की कितनी ज्यादा आवश्यकता है। अगर इस दिशा में समय रहते कदम नहीं उठाए जाएंगे तो इसका खामियाजा हमारे युवाओं को भुगतना पड़ेगा। सरकार की जिम्मेदारी है कि एक सुरक्षित, पारदर्शी और निष्पक्ष परीक्षा प्रणाली की स्थापना करें ताकि युवा अपने भविष्य के सपनों को साकार कर सकें।

गुस्से में अभ्यर्थी... हमारे भविष्य से न खेले सरकार

-सरकार को युवाओं के भविष्य से खेलना बंद करना चाहिए। हर हालत में पेपर लीक पर रोक लगाने के साथ इसमें शामिल लोगों के खिलाफ नो टॉलरेंस की नीति पर काम करना चाहिए। युवाओं के लिए यह सिलसिला असहनीय है। - अभिनव शर्मा

-हर साल भर्ती परीक्षाओं की आवेदन प्रक्रिया से ही सरकार को करोड़ों का राजस्व प्राप्त होता है, इसके बाद भी चंद पैसों के लिए युवाओं का भविष्य बेच दिया जाता है। उनका जीवन बर्बाद हो रहा है और सरकार मूक दर्शक बनी हुई है। - बबली दिवाकर

-परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। बड़े भाई ने यूपी पुलिस की परीक्षा दी, उम्मीद थी कि भर्ती के बाद परिवार को मदद मिलेगी, लेकिन अब उनकी उम्र निकल गई। मैंने नीट दी, लेकिन हाई रैंकिंग से सरकारी कॉलेज पाना मुश्किल है। - दीक्षा शर्मा

-सरकार को एनटीए को तुरंत रद्द करके नई संस्था बनानी चाहिए। यह संस्था छात्रों और युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। नीट यूजी के तुरंत बाद यूजीसी नेट में गड़बड़ी सामने आने से जाहिर है कि ये संस्था अक्षम है। - गरिमा राजपूत

-लगातार छह महीने से तैयारी कर रहे थे। परीक्षा भी अच्छी हुई थी। हमारा समय और पैसा बर्बाद हो गया। सरकार को इस पर सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। यह भी ख्याल रखना चाहिए कि भविष्य में कोई और पेपर लीक न हो। - रुबाब

-एक साल से परीक्षा की तैयारी कर रही थी। पहले भी कंप्यूटर बेस्ड परीक्षा में दो बार अटैम्प्ट कर चुकी थी, इस बार पेन और पेपर फॉर्मेट में परीक्षा हुई जो रद्द कर दी गई। इस परीक्षा के लिए छुट्टी लेकर छह महीने से तैयारी कर रही थी। - कोमल

-जब भी कोई भर्ती परीक्षा रद्द होती है तो तमाम युवाओं का वक्त, पैसा और तैयारी तो बर्बाद होती ही है. साथ ही उनकी उम्र बढ़ने के साथ अवसर भी कम रह जाते हैं। दुखद है कि सरकार को इस बात का कोई अहसास तक नहीं होता। सूर्य प्रकाश

-यूजीसी नेट, जूनियर रिसर्च फेलोशिप और सहायक प्रोफेसरशिप के लिए मैं लंबे समय से तैयारी कर रहा था। परिवार को उम्मीद थी कि एग्जाम क्रैक होगा। अब परीक्षा रद्द हो गई है। वक्त तो बर्बाद हुआ ही, दबाव भी बढ़ गया है। - संजय सिंह

पेपर लीक से गंभीर मानसिक असर
साइकोलॉजिस्ट डॉ. सुविधा शर्मा कहती हैं कि ये घटनाएं परीक्षा देने वाले ही नहीं बल्कि उन युवाओं का भी तनाव बढ़ाने वाली हैं जिन्होंने आगे चलकर इन परीक्षाओं में शामिल होने का इरादा कर रखा है। पेपर लीक और परीक्षा का रद्द होना तैयारी कर रहे छात्रों में अनिश्चितता और असुरक्षा की भावना बढ़ा देता है। उन्हें अत्यधिक तनाव और चिंता का सामना करना पड़ता है। पेपर लीक होने की खबर आने पर उनकी मेहनत व्यर्थ जाती है तो उनमें तनाव से अवसाद, चिंता विकार के साथ कई और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करती हैं जो उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।

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