लखनऊः ड्रोन की मदद से रोकी जाएगी चोरी, भूमि सर्वेक्षण में भी करेगा मदद

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय ने भार उठाने वाले दो ड्रोन किये तैयार किए हैं। यह ड्रोन भूमि सर्वेक्षण- बीजरोपण आदि में मदद करने के लिए बनाए गए है। शासन ने तैयार की एसटीएफ, एसीएस रैंक के पांच अधिकारी सहित दो तकनीकी विशेषज्ञ भी इसमें शामिल हैं।
(जीशान कदीर) लखनऊ, अमृत विचार: भूमि सर्वेक्षण का झंझट खत्म, पर्यावरण भी हरा भरा रहेगा। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के सेंटर फार एडवांस स्टडीज के डीन डॉ. अनुज कुमार शर्मा ने बताया कि विवि में डिजाइन किये गए ड्रोन वो सब कुछ करने जा रहे हैं, जो आपने सिर्फ सोचा ही होगा। शासन ने प्रदेश में भूमि सर्वेक्षण और बीजरोपण को लेकर एसटीएफ तैयार की है। इसमें एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (एसीएस) स्तर के पांच अधिकारियों के साथ एकेटीयू और आईआईटी कानपुर के दो विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। एकेटीयू में ड्रोन के डिजाइन तैयार किये जा रहे हैं। फिर इन्हें बनाया जाएगा। यही ड्रोन संबंधित स्थानों पर उड़कर पहुंचेंगे और सर्वेक्षण करेंगे। इन्हीं की रिपोर्ट के आधार पर सर्वेक्षण कार्य पूरा होगा। ड्रोन का दूसरा कार्य उन स्थानों पर बीजरोपण का होगा, जहां आने-जाने में समस्याएं आ रही हों।
कार्य की रूपरेखा तैयार
विशेषज्ञ ने बताया कि ड्रोन के लिए तीन व्यवस्थाएं तैयार की गई हैं। जो नियमावली (रेगुलेशन), निर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) और प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) के आधार पर निर्धारित हैं। ड्रोन तैयार करने के दौरान यहीं क्रम अमल में लाया जाएगा।
छात्रों के सहयोग से मिलेगी सफलता
डॉ. अनुज कुमार शर्मा ने बताया कि हमें अलग से कोई व्यवस्था करने की जरूरत नहीं है। क्योंकि विवि में ड्रोन टेक्नॉलाजी से जुड़ा पाठ्यक्रम पहले से ही प्रभावी है। बीटेक के छात्र बड़ी संख्या में जुड़कर अध्ययनरत है। विवि में स्थापित एडवांस प्रयोगशाला में डिजायन व अन्य कार्य पूरा करने में आसानी रहेगी।
सामान को लाने- ले जाने वाले ड्रोन तैयार
विश्वविद्यालय ने फिलहाल भूमि सर्वेक्षण को लेकर दो ड्रोन तैयार कर लिये हैं। डीन ने बताया कि संबंधित स्थल पर ड्रोन सामान को लाने और ले जाने का कार्य करेंगे। तैयार एक ड्रोन 500 ग्राम और दूसरा 2 किग्रा के भार को उठाने की क्षमता रखता है।
छात्रों को मिलेगा रोजगार
बड़ी संख्या में तैयार होने वाले ड्रोन छात्रों को रोजगार के अवसर प्रदान करने जा रहे हैं। डॉ. अनुज कुमार शर्मा का कहना है कि ड्रोन की आवाजाही को लेकर ट्रैक तैयार किया जा रहा है। जब उस ट्रैक पर ड्रोन उड़ेंगे तो निश्चित ही उनमें टूट-फूट होगी। ऐसे में उन्हें बनाने का कार्य तकनीकी रूप से दक्ष छात्र ही कर सकेंगे। इससे छात्रों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
पुलिस विभाग को भी किया शामिल
तकनीकी विशेषज्ञ का कहना है कि बड़ी संख्या में इसे इस्तेमाल में लाने के लिए पुलिस विभाग को भी सम्मिलित किया गया है। ताकि सुरक्षा व आवाजाही के लिए सामंजस्य बन सके।
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