मणिपुर में एक वर्ष बाद भी शांति नहीं, स्थिति पर प्राथमिकता से विचार करने की जरूरत: मोहन भागवत

मणिपुर में एक वर्ष बाद भी शांति नहीं, स्थिति पर प्राथमिकता से विचार करने की जरूरत: मोहन भागवत

नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर में एक वर्ष बाद भी शांति स्थापित नहीं होने पर सोमवार को चिंता व्यक्त की और कहा कि संघर्ष प्रभावित पूर्वोत्तर राज्य की स्थिति पर प्राथमिकता के साथ विचार किया जाना चाहिए। 

यहां रेशमबाग में डॉ. हेडगेवार स्मृति भवन परिसर में संगठन के 'कार्यकर्ता विकास वर्ग-द्वितीय' के समापन कार्यक्रम में आरएसएस प्रशिक्षुओं की एक सभा को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि विभिन्न स्थानों और समाज में संघर्ष अच्छा नहीं है। उन्होंने चुनावी बयानबाजी से बाहर आकर देश के सामने मौजूद समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत पर जोर दिया। 

उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर पिछले एक साल से शांति स्थापित होने की प्रतीक्षा कर रहा है। दस साल पहले मणिपुर में शांति थी। ऐसा लगा था कि वहां बंदूक संस्कृति खत्म हो गई है, लेकिन राज्य में अचानक हिंसा बढ़ गई है।" आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘‘मणिपुर की स्थिति पर प्राथमिकता के साथ विचार करना होगा। चुनावी बयानबाजी से ऊपर उठकर राष्ट्र के सामने मौजूद समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है।’’ 

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि अशांति या तो भड़की या भड़काई गई, लेकिन मणिपुर जल रहा है और लोग इसकी तपिश का सामना कर रहे हैं। पिछले साल मई में मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच हिंसा भड़क उठी थी। तब से अब तक करीब 200 लोग मारे जा चुके हैं, जबकि बड़े पैमाने पर आगजनी के बाद हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। इस आगजनी में मकान और सरकारी इमारतें जलकर खाक हो गई हैं। 

पिछले कुछ दिनों में जिरीबाम से ताजा हिंसा की सूचना आयी हैं। हाल में हुए लोकसभा चुनावों के बारे में भागवत ने कहा कि नतीजे आ चुके हैं और सरकार बन चुकी है, इसलिए क्या और कैसे हुआ आदि पर अनावश्यक चर्चा से बचा जा सकता है। 

उन्होंने कहा कि आरएसएस "कैसे हुआ, क्या हुआ" जैसी चर्चाओं में शामिल नहीं होता है। उन्होंने कहा कि संगठन केवल मतदान की आवश्यकता के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने का अपना कर्तव्य निभाता है। उन्होंने सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आम सहमति की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि आम जनता के लिए काम किया जा सके। 

भागवत ने कहा कि चुनाव बहुमत हासिल करने के लिए होते हैं और यह एक प्रतिस्पर्धा है, युद्ध नहीं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल और नेता एक-दूसरे की बुराई कर रहे हैं, लेकिन वे इस बात पर ध्यान नहीं दे रहे हैं कि इससे समुदायों के बीच दरार पैदा हो सकती है। उन्होंने अफसोस जताया कि आरएसएस को भी बिना किसी कारण के इसमें घसीटा जा रहा है। 

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि चुनाव में हमेशा दो पक्ष होते हैं, लेकिन जीतने के लिए झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि तकनीक (परोक्ष तौर पर डीपफेक आदि की ओर इशारा करते हुए) का उपयोग करके झूठ फैलाया गया। भागवत ने देश में हो रही ‘रोड रेज’ (सड़क पर होने वाली मारपीट की घटनाओं) की घटनाओं पर भी चिंता जताई। 

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