बाराबंकी: कर्ज लेकर खूब किया खर्च... नहीं चुकाए बैंकों के 12 अरब, एनपीए में डाली गई रकम

23 बैंकों के 1.3 लाख है उधारी के खाताधारक, वसूली को लेकर दी जाती है नोटिस, राष्ट्रीय लोक अदालत का मिलता है सहारा

बाराबंकी: कर्ज लेकर खूब किया खर्च... नहीं चुकाए बैंकों के 12 अरब, एनपीए में डाली गई रकम

रीतेश श्रीवास्तव/ बाराबंकी, अमृत विचार। बैंक से कर्ज लेकर किसी ने मकान बनवाया तो किसी ने कार खरीद ली। किसी ने अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक से लोन लेकर खूब खर्च किया, तो किसी ने खेती किसानी के लिए बैकों से कर्ज ले लिया अब इसे चुका नहीं रहे हैं। जिले में एक लाख 3962 लोग ऐसे सामने आए हैं।

यह लोग 12 बैंकों का 12 अरब से ज्यादा दबाए बैठे हैं।  लगातार प्रयास करने के बाद रकम वापस न लौटने पर बैंकों ने यह राशि एनपीए (नॉन परफार्मिंग एसेट्स) में डाल दी है। बैंकों द्वारा लोगों को घर बनाने से लेकर घर चलाने तक के लिए ऋण दिया जाता है। लोग अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने लिए भी कर्ज लेते हैं।

खेतीबाड़ी से लेकर सरकारी योजनाओं के पात्रों को भी बैंकों से ऋण दिया जाता है। जिससे लोग व्यवसाय शुरु करने के साथ घर आदि बनवा सके। इसके बाद समय से बैंक से लिया पैसा वापस करें जिससे अन्य पात्रों को भी लाभ दिया जा सके। लेकिन देखने में आ रहा है कि लोग विभिन्न क्षेत्रों में निवेश आदि के लिए बैंकों से लिया गया ऋण लंबे समय तक वापस करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।

ऐसे में उधारी की रकम फंसने से इसका वित्तीय असर सीधा बैंकों पर पड़ रहा है। कुछ ऐसा ही मामला जिले का भी है। यहां के 23 बैंकों से 12 अरब 14 करोड़ 39 लाख का ऋण 103962 लोगों ने ले लिया अब यह ऋण लौटा नहीं रहे हैं। कई प्रयासों के बाद भी ऋण की अदायगी न होने पर बैंकों ने अपनी इस रकम को एनपीए में डाल दिया है। कई बार नोटिस के बाद भी उधारी का पैसा जमा नहीं हुआ है। बैंकों ने राष्ट्रीय लोक अदालत के जरिए भी अधिकांश एनपीए खातों को निपटाने के प्रयास में है ताकि उधारी का पैसा वापस बैंकों को मिल सके। अधिकांश एनपीए खातें काफी लंबे समय के बताए गए हैं।

कृषि क्षेत्र में सबसे ज्यादा फंसा पैसा

बैंकों की ओर से किसानों को खेती संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से रियायती ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा कृषि उपकरणों की खरीद के लिए कर्ज दिया जाता है। लेकिन, बैंकों का सबसे ज्यादा ऋण कृषि क्षेत्र में ही फंसा हुआ है। जिले के 23 बैंकों के 66,589 खाताधारक 9 अरब 26 करोड़ 40 लाख रुपये नहीं लौटा रहे हैं। जबकि सूक्ष्य, लघु एवं मध्यम उद्यम यानी एमएसएमई के तहत उद्योग लगाने के लिए 27364 खाताधारकों द्वारा लिए गए 2 अरब 10 करोड़ रुपये वापस नहीं लौटाए गए हैं। सबसे अधिक बकाया बैंक ऑफ इंडिया और आर्यावर्त बैंक का बकाया है।

एनपीए रिपोर्ट पर एक नजर

बैंक का नाम--खाताें की सं.---धनराशि (करोड़ों में)
बैंक ऑफ बडौदा-- 5613--- 98.42
बैंक ऑफ इंडिया-- 26987---420.58
        केनरा बैंक-- 1822---36.73
       सेंट्रल बैंक --  346--- 3.85
     इंडियन बैंक--  1512--- 24.5
          पीएनबी-- 1582--- 22.5
      यूनियन बैंक-- 2070---42.17
           स्टेट बैंक-- 4376---37.45
बैंक आॅफ महाराष्ट्रा-- 139---1.46
इंडियन ओवरसीज-- 322---7.12
     पंजाब एंड सिंध--931---16.51
                  यूको--369---3.59
             एक्सिस-- 513---1.6
             बंधन बैंक--3925---16.39
           फेडरल बैंक--28---0.76
         एचडीएफसी--1250---10.93
   आईसीआईसीआई-- 160---2.45
          आईडीबीआई--152---3.98
             इंडसंड बैंक-- 169---1.25
            कोटेक महिंद्रा--1258---56.65
           आर्यावर्त बैंक---45631---370.88
        यूपीएसजीवी बैंक--4569---27.76
उज्जीवन स्मॉल फाईनेंस लि.--167---0.3
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                कुल  योग-- 1,03,962--- 1214.39
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तय अवधि बीतने के बाद भी लिए गए ऋण की अदायगी न करने पर उस रकम को एनपीए में डाल दिया जाता है। हालांकि, एनपीए के बाद भी ऋण वापस आता रहता है। यह एक सतत प्रक्रिया होती है। बैंकों की ओर से ऋण की वापसी के लिए नियमानुसार प्रयास किए जाते हैं...,विवेक कुमार, अग्रणी जिला प्रबंधक,बाराबंकी।

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