RBI गवर्नर शक्तिकांत दास का ऐलान, रेपो रेट में नहीं किया कोई बदलाव, 6.5 फीसदी पर कायम
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार आठवीं बार नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा।
महंगाई को टिकाऊ आधार पर चार प्रतिशत के स्तर पर लाने और वैश्विक अनिश्चितता के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से नीतिगत दर को यथावत रखा गया है। इसके साथ मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्यों ने खुदरा महंगाई को लक्ष्य के अनुरूप लाने के लिए उदार रुख को वापस लेने के अपने निर्णय पर भी कायम रहने का फैसला किया है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बुधवार को शुरू हुई तीन दिन की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा, ‘‘उभरती वृहद आर्थिक और वित्तीय गतिविधियों तथा परिदृश्य पर गौर करने के बाद एमपीसी ने नीतिगत दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का निर्णय किया।’’ एमपीसी के छह सदस्यों में से चार ने नीतिगत दर को यथावत रखने, जबकि दो...आशिमा गोयल और प्रोफेसर जयंत आर वर्मा ने इसमें 0.25 प्रतिशत कमी लाने के लिए मतदान किया।
इसके साथ स्थायी जमा सुविधा 6.25 प्रतिशत, सीमांत स्थायी सुविधा दर और बैंक दर 6.75 प्रतिशत पर कायम है। रेपो वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये इसका उपयोग करता है।
रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में बदलाव की संभावना कम है। केंद्रीय बैंक ने आर्थिक गतिविधियों में मजबूती और दक्षिण-पश्चिम मानसून के सामान्य से बेहतर रहने के अनुमान के साथ 2024-25 के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर के अनुमान को सात प्रतिशत से बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत पर कर दिया है।
वहीं चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को 4.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की जानकारी देते हुए दास ने कहा, ‘‘एमपीसी सदस्यों ने खुदरा महंगाई को लक्ष्य के अनुरूप लाने और वृद्धि को समर्थन देने के लिए उदार रुख को वापस लेने के अपने निर्णय को भी कायम रखने का फैसला किया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आर्थिक वृद्धि मजबूत बनी हुई है जबकि मुख्य (कोर) मुद्रस्फीति में नरमी (ईंधन और खाद्य पदार्थ की महंगाई को छोड़कर) से खुदरा महंगाई में लगातार कमी आ रही है। इसके साथ ईंधन की महंगाई दर में कमी जारी है। हालांकि, खाद्य मुद्रास्फीति चिंता का विषय है और यह ऊंची बनी हुई है।’’
दास ने कहा, ‘‘ केंद्रीय बैंक खासकर खाद्य महंगाई को लेकर सतर्क बना हुआ है। मौद्रिक नीति निश्चित रूप से महंगाई को काबू में लाने वाली होनी चाहिए और हम टिकाऊ आधार पर इसे चार प्रतिशत के स्तर पर लाने को प्रतिबद्ध हैं।’’
आरबीआई को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। शीर्ष बैंक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई पर गौर करता है।
उन्होंने कहा कि सतत रूप से कीमत स्थिरता उच्च वृद्धि का आधार है। इन सब बातों पर गौर करते हुए एमपीसी ने नीतिगत दर को यथावत रखने का निर्णय किया है। उल्लेखनीय है कि आरबीआई ने पिछले साल अप्रैल से नीतिगत दर को यथावत रखा हुआ है। उससे पहले, मई 2022 से लगातार छह बार में रेपो दर में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि की गयी थी।
आर्थिक वृद्धि का जिक्र करते हुए दास ने कहा कि आर्थिक गतिविधियों में मजबूती और दक्षिण- पश्चिम मानसून के सामान्य से बेहतर रहने की संभावना के साथ 2024-25 के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर के अनुमान को सात प्रतिशत से बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत पर कर दिया गया है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के अनुसार, बीते वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही है। उन्होंने कहा, ‘‘चालू वित्त वर्ष में अबतक घरेलू आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई है। घरेलू मांग मजबूत होने के साथ विनिर्माण गतिविधियां मजबूत हो रही हैं...निजी निवेश में सुधार हो रहा है।’’
दास ने कहा, ‘‘इसके साथ दक्षिण-पश्चिम मानसून के सामान्य से अधिक रहने से खरीफ उत्पादन बेहतर रहने का अनुमान है। कृषि गतिविधियों में मजबूती से ग्रामीण खपत बढ़ेगी। इन सबको देखते हुए जीडीपी वृद्धि दर 2024-25 में 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।’’
मुद्रास्फीति के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘मुख्य मुद्रास्फीति और ईंधन के दाम में नरमी से खुदरा महंगाई दर मार्च-अप्रैल में नरम हुई है। हालांकि, खाद्य महंगाई को लेकर दबाव बना हुआ है। दाल और सब्जियों की महंगाई दो अंक में बनी हुई है।’’
गर्मी अधिक पड़ने और जलाशयों में जल स्तर कम होने से गर्मी में सब्जियों और फल की खेती प्रभावित हो सकती है। ऐसे में रबी मौसम की दलहनों और सब्जियों की आवक को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। दास ने कहा कि इसके साथ वैश्विक स्तर पर खाद्य वस्तुओं के दाम चढ़ने लगे हैं। औद्योगिक धातुओं के दाम में भी तेजी है। अगर ये स्थिति बनी रहती है तो कंपनियों के लिए कच्चे माल की लागत बढ़ सकती है।
दास ने कहा कि वैश्विक स्तर पर संकट के कारण कच्चे तेल को लेकर परिदृश्य अनिश्चित बना हुआ है। हालांकि, दक्षिण-पश्चिम मानसून का सामान्य से बेहतर रहने का अनुमान खरीफ मौसम के लिए अच्छा है। गेहूं की खरीद पिछले साल के स्तर को पार कर गयी है। इससे खाद्य महंगाई के मोर्चे पर राहत मिल सकती है। दास ने कहा, ‘‘इन बातों को ध्यान में रखते हुए खुदरा मुद्रास्फीति 2024-25 में 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है और जोखिम दोनों तरफ बराबर है।’’
पहली तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 4.9 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में कम होकर 4.83 प्रतिशत रही थी। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने थोक जमा सीमा दो करोड़ रुपये से बढ़ाकर तीन करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया है।
केंद्रीय बैंक भुगतान धोखाधड़ी के जोखिम को कम करने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने को लेकर डिजिटल भुगतान ‘इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म’ स्थापित करेगा। साथ ही फास्टैग, एनसीएमसी (नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड) और यूपीआई-लाइट वॉलेट को ‘ई-मैंडेट’ के तहत लाने का प्रस्ताव किया गया है। मौद्रिक नीति समति की अगली बैठक छह से आठ अगस्त को होगी।
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