चिंता की बात : रामपुर में दूध की कमी से बच्चे हो रहे कुपोषण का शिकार 

औसतन 125 ग्राम दूध प्रति व्यक्ति के हिस्से में आ रहा दूध, आठ लाख 78 हजार 492 लीटर दूध उत्पादित होता है प्रति दिन

चिंता की बात : रामपुर में दूध की कमी से बच्चे हो रहे कुपोषण का शिकार 

 गाय का दूध दूता गवाला...प्रतीकात्मक फोटो

रामपुर, अमृत विचार। जिले में दूध की कमी के कारण बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। जिले के प्रत्येक व्यक्ति को औसतन 125 ग्राम दूध हिस्से में आ रहा है। जबकि, मानक 220 ग्राम प्रति लीटर प्रति व्यक्ति है। आठ लाख 78 हजार 492 लीटर दूध प्रति वर्ष उत्पादित होता है। जबकि, औसतन लगभग 10 लाख लीटर प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन की दरकार है। जिले में गाय के सापेक्ष भैंस वंशीय दुधारू पशु लगभगर तीन गुना अधिक हैं। जिले में तीन लाख 84 हजार 337 भैंस वंशीय और एक लाख 64 हजार 540 दुधारू गाय हैं। 

जिले में दूध की कमी के बावजूद दूध डेयरियों पर दूध की उपलब्धता निरंतर बनी रहती है। यदि किसी भी दुग्ध डेयरी पर दो-चार क्विंटल दूध का आर्डर दिया जाए तो शाम तक उसकी आपूर्ति कर दी जाती है। दुधारु पशुओं को सुबह और शाम को दुहा जाता है। लेकिन, दोपहर में बड़ी मात्रा में दूध डेयरियां दूध कहां और कैसे उपलब्ध करा देती हैं इस सवाल का जवाब जिले के जिम्मेदार अधिकारियों के पास भी नहीं है। 

बताते हैं कि उन्होंने दूध और मावे वाली मिठाइयों से किनारा कर लिया है। वह अब बेसन के लड्डू, इमरती, जलेबी, बालूशाही और सोहन पापड़ी खाना पसंद करते हैं। उनके निकट ही बैठे एक और बड़े अधिकारी ने कहा कि उन्होंने शादियों पार्टियों में पनीर की सब्जी खाना बंद कर दी है उसके स्थान पर मिक्स वेज और दाल मखानी खाना पसंद करते हैं। दूध में भी आमदनी अठन्नी और खर्च रुपैया वाला फार्मूला काम कर रहा है। सरकारी दस्तावेज गवाही दे रहे हैं कि जनपद में दूध की कमी है इसके बावजूद प्राइवेट दुग्ध डेयरियों पर कभी भी दूध की कमी नहीं रहती यह निरंतर लोगों को दुग्ध को आपूर्ति कर रही हैं।

50 से 80 लीटर प्रतिदिन दूध देती है गिर नस्ल की गाय
जर्सी गाय 25 से 30 लीटर दूध का उत्पादन रोज करती है।  जर्सी गाय का दूध पतला और हल्के पीले रंग का होता है, इसका दुग्ध आसानी से पचने वाला होता है जो बच्चों, बुजुर्ग, किसी  भी व्यक्ति के लिए अत्यंत लाभदायक होता है। इस गाय का दूध देने का समय  305 दिन होता है और दुग्ध नहीं देने का समय  60 दिन का होता है। इसके दूध में फैट चार प्रतिशत और एसएनएफ आठ प्रतिशत से अधिक होता है। गिर नस्ल की गाय भी रामपुर में पलती हैं हालांकि, इनका मूल स्थान काठियावाड़ गुजरात के दक्षिण में गिर जंगल है जिसके कारण इनका नाम गिर गाय पड़ गया है। यह गाय एक दिन में 40 से 50 लीटर तक दूध देती है। जिला मुख्य पशु चिकित्साधिकारी बताते हैं कि साहीवाल उत्तर प्रदेश की सर्वश्रेष्ठ प्रजाति है यह गाय एक बार मां बनने पर करीब 10 महीने तक दूध देती है। हरियाणवी गाय भी रामपुर में पाली जाती हैं। इस नस्ल के बैल खेती में अच्छा कार्य करते हैं इसलिए हरियाणवी नस्ल की गायें सर्वांगी कहलाती हैं। 

खूब पाली जाती है मुर्रा, भदावरी, सुरती, सांभलपुरी भैंस  
 मुर्रा, भदावरी, सुरती और सांभलपुरी भैंस दुधारु हैं लेकिन, रामपुर में मुर्रा भैंस खूब पाली जाती है। यह पूरे दिन में आठ से 14 लीटर तक औसत दूध देती है।  भदावरी नस्ल रामपुर,आगरा, इटावा और मध्य प्रदेश के ग्वालियर क्षेत्र में पायी जाती है। इनके सिर का आकार छोटा और पैर भी छोटे-छोटे होते हैं। इस नस्ल के खुर का रंग काला और गर्दन के निचले हिस्सों पर दो सफेद निशान पाए जाते हैं। यह बारह से 14 किलो प्रतिदिन दूध दूती है। 

यह हैं प्रमुख भैंस प्रजातियां
मुर्रा,सुरती,जाफराबादी,मेहसाना,भदावरी,गोदावरी,नागपुरी,सांभलपुरी।

जिले में लोकल स्तर पर दुग्ध सप्लाई बड़ी मात्रा में है इसके ठीक-ठीक आंकड़े नहीं हैं। केवल सांख्यिकी की मदद पर आंकड़े तैयार किए जा सकते हैं। जिले में    तीन लाख 84 हजार 337 हैं दुधारू भैंस वंशीय और एक लाख 64 हजार 540 गो वंशीय दुधारु पशु नवंबर 2021 की गणना के अनुसार हैं। रामपुर में गाय के सापेक्ष भैंस का दूध तीन गुना अधिक उत्पादित होता है। -डा. महेश कुमार कौशिक, जिला मुख्य पशु चिकित्साधिकारी 

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