पीलीभीत: आमजन के मुद्दों को उठाकर भगवत ने ली सियासी बढ़त, एक घंटा आराम और 23 घंटे काम...दिन-रात चली सभाएं

पीलीभीत: आमजन के मुद्दों को उठाकर भगवत ने ली सियासी बढ़त, एक घंटा आराम और 23 घंटे काम...दिन-रात चली सभाएं

पीलीभीत, अमृत विचार। लोकसभा चुनाव के पहले चरण में मतदान 19 को है। प्रचार-प्रसार का शोर थम गया है। जीत हासिल करने के लिए प्रत्याशियों ने इन दिनों एड़ी-चोटी का जोर लगा लिया। मुद़्दों पर बातें कीं, पूरा करने का आश्वासन दिया। अब गेंद मतदाताओं के पाले में है। 

पीलीभीत में मुख्यरूप से भाजपा उम्मीदवार जितिन प्रसाद, सपा से भगवत सरन गंगवार और बसपा प्रत्याशी अनीस अहमद खां के बीच मुकाबला है। इनमें खामोशी के साथ बढ़ते हुए सपा प्रत्याशी भगवत सरन गंगवार अचानक रफ्तार पकड़कर तराई में सियासी जमीन पाने के लिए मजबूत स्थिति में पहुंचते दिखाई दे रहे हैं। 

खासकर बीते 15 दिन में मुस्लिम, दलित और पिछड़ा वर्ग के बीच पहुंचकर पीडीए की बात करते हुए भगवत सरन ने मतदाताओं को साधने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। नुक्कड़ सभाओं में उमड़ी भीड़ हो या फिर प्रचार प्रसार में अचानक आई तेजी, इसका संदेश दे गई। 

भाजपा से टिकट कटने के बाद वरुण गांधी की चुप्पी के बीच उनके समर्थकों की नाराजगी का लाभ सपा उम्मीदवार को मिलने की पूरी संभावना है। किसान नेता वीएम सिंह ने भी अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों को सपा (गठबंधन) उम्मीदवार भगवत सरन का समर्थन करने को कहा है इससे उनकी स्थिति और मजबूत हुई है। 

भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री समेत अन्य शीर्ष नेताओं की बड़ी-बड़ी जनसभाएं होने तक वह खामोशी से प्रचार करते रहे। इसके बाद अचानक प्रचार में आई तेजी ने भाजपा-बसपा खेमे में चिंता बढ़ा दी है। भगवत सरन गंगवार का चुनाव प्रचार का तरीका खांटी मित्रवत रहा है। 24 घंटे में एक घंटा आराम और 23 घंटे काम की स्थिति प्रचार प्रचार के दौरान बनी रही। 

उन्होंने बताया कि सुबह पांच बजे उठने के बाद तैयार होकर कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच आ जाते। कुछ समय चुनाव कार्यालय पर लोगों से मुलाकात करते हैं। इसके बाद गांव-गांव नुक्कड़ सभाओं का दौर चलता रहा। वापसी में ही देर रात कभी दो या फिर तीन तक बज जाते। 

इस दौरान उन्होंने लगातार स्थानीय समस्याओं को ही मुद्दा बनाया। फिर चाहें किसानों के बीच जाकर एमएसपी से लेकर छुट्टा पशुओं से हो रही दिक्कतों को उठाना रहा हो या फिर जंगल से सटे इलाकों में पहुंचकर मानव-वन्यजीव संघर्ष का मुद्दा। उनके प्रचार के तरीके ने लोगों को प्रभावित भी किया है। सियासी जानकार भी उनकी स्थिति को मजबूत मानकर चल रहे हैं।

15 दिन में कर डालीं 600 से अधिक नुक्कड़ सभाएं
बीते पंद्रह दिन के भीतर प्रत्याशी भगवत सरन गंगवार करीब 600 से अधिक नुक्कड़ सभाएं कर चुके हैं।  इसके अलावा कई बड़ी सभाएं भी की गईं।  जिसमें दलित, मुस्लिम  और पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की समस्याओं को रखा गया है। इंडिया गठबंधन में शामिल अन्य दल भी पीडीए की नीति के साथ प्रचार प्रचार में लगे रहे हैं। एक -एक दिन में 40-40 नुक्कड़ सभाएं की गई हैं।

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