SGPGI: चिकित्सा सुविधा पर बोलीं डॉक्टर-बेहतरीन व्यवस्था फिर भी गंभीर हालत में अस्पताल पहुंच रहे मरीज

SGPGI: चिकित्सा सुविधा पर बोलीं डॉक्टर-बेहतरीन व्यवस्था फिर भी गंभीर हालत में अस्पताल पहुंच रहे मरीज

लखनऊ,अमृत विचार। अच्छे स्वास्थ्य के लिए खुद की देखभाल करना बहुत जरूरी है। बीमारी के लक्षण सामने आते ही डॉक्टर से सलाह लेना ही उचित होता है, देरी और वैकल्पिक चिकित्सा की चाह आपको गंभीर बीमार कर सकती है। मौजूदा समय में ऐसे कई उदाहरण हैं, मरीज तब अस्पताल पर पहुंचता है,जब उसकी जान पर बन आती है। बीमारी के शुरुआती दौर में एक चिकित्सकीय परामर्श गंभीर परिणाम से बचा सकता है। यह जानकारी एसजीपीजीआई की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अंजू रानी ने अमृत विचार के साथ हुई बातचीत के दौरान साझा की है।

उन्होंने कहा कि समय पर बीमारी की जानकारी और उसका सटीक इलाज जीवन को बचाता है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कई बार बीमारी की जानकारी होने के बाद भी सर्जरी का डर वैकल्पिक चिकित्सा की तरफ मरीज को ले जाता है, जिससे हालात और गंभीर हो सकती है।

दरअसल, एसजीपीजीआई स्थित  स्त्री रोग विभाग की ओपीडी में एक 42 वर्षीय महिला गंभीर स्थिति में इलाज के लिए पहुंची थीं। महिला को ओवरी का ट्यूमर था। महिला इस समस्या से करीब 5 महीने से परेशान थी। बातचीत के दौरान डॉक्टर अंजू रानी ने बताया कि  ओपीडी में 42 वर्षीय दो बच्चों की माँ परामर्श के लिए आई, जो लगभग 5 महीने से पेट की सूजन से परेशान थीं।

जाँच के बाद उनकी ओवरी में ट्यूमर होने की जानकारी सामने आई। जिसका उपचार सर्जरी द्वारा ही संभव था। आपरेशन के द्वारा ओवेरियन ट्यूमर को निकाला गया, जिसका आकार लगभग एक फुटबॉल (30x25 cm एक फुट व्यास) के बराबर था। इस ट्यूमर के अंदर लगभग 7.5 लीटर फ्ल्यूड और 3.5 किलो ठोस पदार्थ की मात्रा थी। आपरेशन के बाद मरीज ने शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया और आपरेशन के पांचवे दिन उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी।

इलाज में देरी से हो सकती है हालत गंभीर 
डॉ. अंजू रानी ने बताया कि आज चिकित्सा परामर्श,अल्ट्रासाउंड वा अन्य जांच की सुविधा लगभग हर जगह उपलब्ध है राजधानी में तो यह सुविधा और आसानी से लोगों को मिल सकती है। बस जरूरत है जागरूकता की। किसी भी प्रकार की समस्या होने पर अपने नजदीकी डॉक्टर से संपर्क कर परामर्श ले सकते हैं। इससे सबसे बड़ा फायदा मरीज का ही है। मरीज की हालत गंभीर नहीं होती और उसे शुरुआती दौर में ही बेहतर इलाज मिल जाता है।

ओवेरियन टयूमर होने का एक कारण अनुवांशिक भी
डॉ अंजू रानी ने बताया कि इस सर्जरी में ठोस पदार्थ के साथ ही 7.5 लीटर फ्ल्यूड भी था। इस तरह की समस्या कभी कभार ही सामने आती है। हालांकि यह किस वजह से होता है इसके कई कारण हो सकते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह बीमारी अनुवांशिक भी होती है। ओवरी का ट्यूमर गर्भाशय ग्रीवा के ट्यूमर से ज्यादा खतरनाक होता है। गर्भाशय ग्रीवा के ट्यूमर में लक्षणों के आधार पर बीमारी का जल्द पता चल जाता है, जबकि ओवेरियन टयूमर में लक्षण सामने आने में बहुत देर हो जाती है। ऐसे में जिनके परिवार में स्तन कैंसर की हिस्ट्री रही हो। उन महिलाओं को अधिक सावधान रहने की जरूरत है।

सर्जरी करने वाली टीम
डॉ. अंजू रानी, ​​स्त्री रोग सलाहकार, डॉ. इरा दुबे सीनियर रेजिडेंट, डॉ. नीतिका, सीनियर रेजिडेंट, डॉ. प्रज्ञा, एनेस्थेटिस्ट, नर्सिग स्टाफ- शिव कुमारी, प्रियंका और दिव्या और ओटी तकनीशियन - बीरभान और वंदना।

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