Video: स्वास्थ्य के क्षेत्र में यूपी रचेगा इतिहास, हेमेटोलॉजी का हब बनेगा लखनऊ

Video: स्वास्थ्य के क्षेत्र में यूपी रचेगा इतिहास, हेमेटोलॉजी का हब बनेगा लखनऊ

लखनऊ, अमृत विचार। हेमेटोलॉजी यानी की ब्लड, ब्लड बनाने वाले अंग, ब्लड की बीमारियों और उसके इलाज को लेकर किये जाने वाले अध्ययन से संबंधित चिकित्सा की एक शाखा है। इस शाखा का हब आने वाले समय में यूपी बन सकता है। इसके अलावा एसजीपीजीआई, केजीएमयू और लोहिया संस्थान मिलकर शोध करेंगे। जिससे विभिन्न बीमारियों के इलाज की नवीन तकनीक को ईजाद किया जा सके।

 

यह जानकारी केजीएमयू की कुलपति प्रो.सोनिया नित्यानंद ने दी है। उन्होंने कहा है कि बोन मेरो प्रोग्राम को आगे बढ़ाने के लिए केजीएमयू में जल्द ही बोन मेरो ट्रांसप्लांट युनिट बनाया जायेगा। साथ ही एक विशेष लैब की भी स्थापना होगी। जिससे ब्लड से संबंधित बीमारियों की गुणवत्तापूर्ण डाइग्नोसिस की जा सके। जिसका लाभ मरीजों को मिलेगा।

दरअसल, केजीएमयू की कुलपति प्रो.सोनिया नित्यानंद रविवार को अटल बिहारी बाजपेई साइंटिफिक कंवेंशन सेंटर में आयोजित प्रथम एनुवल हेमेटोलॉजी कॉन्क्लेव में शामिल होने पहुंची थीं। इस दौरान उन्होंने अमृत विचार के साथ बातचीत की और कई अहम बातें साझा की। उन्होंने बताया कि मेरा यह लक्ष्य है कि तीनों संस्थान मिलकर क्लीनिकल ट्रायल करें। जिससे बीमारियों का इलाज आसान हो सके।

कान्फ्रेंस के दौरान कुलपति प्रो.सोनिया नित्यानंद ने कहा कि इस तरह के कॉन्क्लेव डॉक्टरों और मेडिकल के स्टूडेंट को नवीन जानकारी देने में काफी कारगर होते हैं। बता दें एसजीपीजीआई और लोहिया संस्थान में हेमेटोलॉजी विभाग की शुरूआत प्रो.सोनिया नित्यानंद ने ही की थी।

बीएचयू की टीम को मिला पहला स्थान

कॉन्क्लेव के आयोजन सचिव डॉ एस पी वर्मा ने बताया कि सेमिनार के दूसरे दिन प्रथम सत्र में राज्य के संस्थानों में हेमेटोलॉजी में पीजी कर रहे चिकित्सकों ने हिस्सा लिया। जिसमें बीएचयू की टीम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, लोहिया संस्थान की टीम ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया वहीं एम एल एन प्रयागराज की टीम ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। विजेताओं को कुलपति प्रो सोनिया नित्यानंद ने पुरस्कार देकर सम्मानित किया है।

इस अवसर पर पीजीआई चंडीगढ़ की डॉ रीना दस ने बताया ने कि थैलेसीमिया के मरीजो में आयरन ओवरलोड होने की समस्या होती है। यह दिक्कत बार बार रक्त चढ़ाने से होती है। 

मुम्बई के डॉ. अभय भावे ने बताया कि आयरन की कमी एक सामान्य समस्या है। इसके उपचार में आयरन की गोली का प्रयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि विषम परिस्थितियों में नस के जरिये आयरन देना भी उचित होता है और यह सुरक्षित भी होता है। दिल्ली के डॉ दिनेश भूरानी ने बताया एक्यूट मयलोइड ल्यूकीमिया को पहचानना वृद्ध लोगो मे मुश्किल होता है। 

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