Unnao News: गुम हो गई ट्रिन-ट्रिन की गूंज, संसाधन भी हुए बदहाल, सेवा में नहीं हैं सहायता नंबर
जमींदोज होता जा रहा बीएसएनएल का कार्यालय व एक्सचेंज भवन
उन्नाव, अमृत विचार। कभी घरों व दफ्तरों में घनघनाने वाले लैंडलाइन फोन अब स्मृतियां बनते जा रहे हैं। इसके लिए भारत संचार निगम की उदासीनता को दोषी ठहराया जाता है। सरकारों की उपेक्षा व अफसरों की उदासीनता से निगम की संपत्तियां खासकर कार्यालय व एक्सचेंज भवन भी बदहाली का शिकार होकर खंडहर में बदलेते जा रहे हैं।
बता दें कस्बा होकर गुजरने वाले उन्नाव-हरदोई मार्ग पर बेशकीमती जमीन में बने भवन में दशकों तक विभागीय कार्यालय व एक्सचेंज संचालित होता रहा है। लाखों की कीमत वाली बिल्डिंग देखरेख के अभाव में जर्जर होकर खंडहर बनती जा रही है। लेकिन, बीएसएनएल अफसर इसे धाराशाई होने से बचाने के उपाय नहीं करना चाहते। भवन के गेट के पास ही उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए शिकायत दर्ज कराने को संचालित होता रहा केबिन अब वीरान है। जबकि, कभी हजारों उपभोक्ताओं को दूरसंचार सुविधा दिलाने वाले भवन के इस हिस्से में पूरे दिन लोगों की आवाजाही बनी रहती थी।
शुरू ही नहीं हो सके काउंटर
भारत विकास परिषद के महासचिव हरिपाल सिंह ने कहा कि यहां बने कई काउंटरों से उपभोक्ताओं को अलग-अलग सुविधाएं दिलाना तय था। यहां काउंटर-एक पर सिमकार्ड, दो पर बिलों का भुगतान व तीन पर कूपन टापअप की सुविधाएं उपलब्ध कराना तय था। लेकिन अब तक कोई काउंटर संचालित नहीं हो सका।
सेवा में नहीं हैं सहायता नंबर
निगम के एक्सचेंज में लिखे सहायता नंबर पर ही संपर्क नहीं हो पाता है। नंबर मिलाने पर उसके सेवा में न होने की जानकारी मिलती है। इसे लेकर दूरसंचार सलाहाकार समिति के सदस्य विक्रम सिंह ठाकुर ने बताया कि पिछली वार्षिक बैठक में विभिन्न मुद्दों का उठाते हुए निगम का अस्तित्व बनाने पर जोर दिया गया था। अधिकारियों ने कई मामलों में सुधार का भरोसा भी दिया था। लेकिन कोई तवज्जो नहीं दी गई।
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