Unnao News: सब्जियों में छाई महंगाई...बजट के साथ थाली का स्वाद बरकरार रखने को हो रही जद्दोजहद
उन्नाव में सब्जियों महंगी होने से लोग परेशान

उन्नाव, अमृत विचार। गर्मी के सीजन में हरी सब्जियों की महंगाई तो लाजमी है, लेकिन नवरात्र व्रत की वजह से आलू की कीमतों में भी इजाफा है। इससे लोगों के घरों में किचन का बजट गड़बड़ा रहा है। इसलिए परिवार के लोगों को भरपेट भोजन कराने के लिए महिलाओं को दिमाग पर जोर डालना पड़ रहा है।
दिनों दिन बढ़ती जा रही गर्मी जहां खेतों में खड़ी खाद्यान फसलों को पककर तैयार कर किसानों को स्मृद्धि प्रदान करने वाली हैं। वहीं मंडियों में स्थानीय उपज के तौर पर सब्जियों की आवक नहीं हो पा रही है। गैर राज्यों व कोल्ड स्टोर से पहुंच रही सब्जियां खरीदना आम आदमी के बस से बाहर की बात होती जा रही है।
शहर की बड़ा चौराहा स्थित सब्जी मंडी में मटर सौ रुपए किलो तो सेहत को संभाले रखने वाले परवल का भाव 80 रुपए प्रति किलोग्राम चल रहा है। मंडी में 60 रुपए प्रतिकिलो भाव सुनकर खरीददारों को करेला की करुहाट अखरने लगती है। हालांकि सीजन पर स्वास्थ्य के लिए बेहतर मानी जाने वाली तरोई भी 60 रुपए किलोग्राम ही बिक रही है, जबकि लौकी 20-30 रुपए नग बेची जा रही है।
थाली में हरी सब्जी सजाने के लिए जहां भिंडी 50 और शिमला मिर्च 40 रुपए किलो के भाव बिक रही है। नवरात्र के चलते प्याज-लहसुन की डिमांड भले ही कम हुई है, लेकिन लहसुन ऐंठ बनाए रखते हुए 140 रुपए किलो तक बिक रहा है। वहीं लू से बचाव के लिए मुफीद बताया जाने वाला प्याज लुढ़क कर 20 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया है।
इसलिए किचन संभालने वाली महिलाओं को सब्जियों का विकल्प पकाना पड़ता है। स्मृति श्रीवास्तव व शालनी वाजपेयी ने बताया कि थाली का स्वाद बनाए रखने के लिए सप्ताह में दो-तीन दिन बड़ी-मगौड़ी या सोया बड़ी की सब्जी बनाती हैं, जबकि बदलाव के लिए करेल व बेसन गट्टे की सब्जी भी खाने की थाली में जगह पा जाती है। गर्मियों में बहुत अधिक पनीर के इस्तेमाल से परिवार बचना चाहता है।