वैश्विक चुनौती

Amrit Vichar Network
Published By Vikas Babu
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दुनिया एक ओर बढ़ी हुई खाद्य मांग को पूरा करने की वैश्विक चुनौती का सामना कर रही है, वहीं 78 करोड़ लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिलता। भोजन बर्बादी एक वैश्विक त्रासदी है। खाद्य हानि और बर्बादी को खाद्य सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के लिए एक गंभीर खतरे के रूप में पहचाना जाता है।

पोषण संबंधी असुरक्षा के संदर्भ में खाद्य बर्बादी एक गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि इससे मानव उपभोग के लिए भोजन की उपलब्धता कम हो जाती है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि एक तरफ, एक-तिहाई मानव आबादी, खाद्य असुरक्षा से जूझ रही है, वहीं हर दिन, एक अरब आहार खुराकों के समतुल्य खाद्य सामग्री बर्बाद हो जाती है। इस वजह से ना केवल वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है बल्कि जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि और प्रदूषण की चुनौतियां भी गहरी हो जाती हैं।

यूएन एजेंसी की ‘खाद्य अपशिष्ट सूचकांक’ रिपोर्ट बताती है कि 2022 में लगभग एक अरब टन भोजन बर्बाद हो गया। करीब 20 फीसदी भोजन कूड़े में फेंक दिया जाता है। औसतन, हर व्यक्ति एक वर्ष में 79 किलोग्राम भोजन की बर्बादी के लिए जिम्मेदार है। यह विश्व में भूख से प्रभावित हर व्यक्ति के लिए हर दिन 1.3 आहार खुराकों के समतुल्य है।

भोजन बर्बादी की चुनौती महज संपन्न देशों तक सीमित नहीं है और इस विषय में धनी व निर्धन देशों के बीच की दूरी कम हो रही है। भारत में घरेलू भोजन की बर्बादी सालाना प्रति व्यक्ति लगभग 50 किलोग्राम या 68.76 मिलियन टन होने का अनुमान है।

कृषि मंत्रालय के मुताबिक भारत में हर वर्ष लगभग 50,000 करोड़ रुपये का भोजन बर्बाद हो जाता है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के अनुसार भारत में उत्पादित भोजन का एक तिहाई हिस्सा खाने से पहले ही बर्बाद या खराब हो जाता है। यह गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि इससे पता चलता है कि लोग न केवल जानबूझकर भोजन बर्बाद करते हैं, बल्कि उन्हें इसके बारे में पता भी नहीं चलता है।

यूएन एजेंसी की रिपोर्ट यह भी बताती है कि खाद्य बर्बादी के स्तर और औसत तापमान में सीधा संबंध है। गर्म जलवायु वाले देशों में घर-परिवारों में प्रति व्यक्ति ज्यादा  मात्रा में भोजन बर्बाद होता है, चूंकि वहां ताजा भोजन खाने की प्रवृत्ति है और खाद्य संरक्षण के लिए शीतलन उपकरण का अभाव हो सकता है। भोजन हानि और बर्बादी, 10 प्रतिशत वैश्विक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है।

भोजन की बर्बादी एक आर्थिक और पर्यावरणीय संकट है जिस पर हमें तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है और इस समस्या से निपटने के लिए प्रत्येक नागिरक को इस दिशा में काम करना चाहिए। अच्छा खाना हर नागरिक का जितना अधिकार है, उतना ही हमारी जिम्मेदारी भी है कि इसे बर्बाद न करें।