Kanpur Dehat: होली का चढ़ने लगा रंग, घरों में बनने लगे चिप्स और पापड़...पर्व के मौके पर मिलावटखोर भी हुए सक्रिय
कानपुर देहात, अमृत विचार। रंगों के त्योहार होली की तैयारी को लेकर नगर से गांव तक महिलाएं आलू के चिप्स, पापड़ सहित अनेकों पकवान मेहमानों के लिए बनाने में जुट गई हैं। गृहणियों का कहना है कि बाजार में मिलने वाले चिप्स महंगे होने के साथ-साथ अच्छी क्वलिटी के नहीं होते। इसीलिए घर में ही चिप्स पापड़ बना रही हैं।
आगामी 24 मार्च को होलिका दहन के बाद दूसरे दिन रंग-गुलाल खेला जाएगा। इसे लेकर बाजारों में रंग, पिचकारी, चिप्स व पापड़ की बिक्री शुरू हो गई है। वहीं मौसम में उलटफेर से चिप्स, पापड़ बनाने की धीमी गति धूप खिलते ही तेज हो गई है। अधिकतर घरों में महिलाएं दूसरे काम छोड़ छतों पर पूरे दिन पर्व की तैयारियों में जुटी नजर आ रहीं हैं।
छतों पर हंसी-ठिठोली के बीच माहौल खुशनुमा होता जा रहा है। विभिन्नता देने के लिए चावल के आटे के पापड़, सूजी के पापड़, साबुदाने के पापड़, आलू के पापड़ जोरों से बनाए जा रहे हैं। वर्तमान में रेडीमेड पापड़ व चिप्स के दाम आसमान छू रहे हैं। वहीं बाजार में आलू पंद्रह से बीस रुपये किलो में बिक रहा है।
ऐसे में आलू के पापड़ बनाए जाने पर महिलाएं अधिक जोर दे रही है। बच्चों में भी इसे लेकर काफी उत्साह दिख रहा है। फिलहाल हर मकान की छत पर त्योहार की तैयारी से गुलजार नजर आ रहा है। सुबह होते ही महिलाएं घर की छतों पर पापड़ बनाने में जुट जाती हैं। दिनभर उसका रख-रखाव करती हैं और सूर्य ढलते ही सुखाकर रख लेती हैं।
मेहमानवाजी के लिए बनने लगी गुझिया
जैसे-जैसे होली का पर्व नजदीक आ रहा है। वैसे-वैसे लगभग सभी घरों में गुझिया बनाने की खुशबू खूब आ रही है। होली मेहमानवाजी के लिए तरह-तरह के पकवानों के लिए जहां जाना जाता है, लेकिन विशेष रूप से खोवा, चीनी, सूजी, मैदा, मेवे आदि से तैयार गुझिया सबकी पहली पंसद होती हैं। घरों में महिलाएं तो स्वादिष्ट गुझिया तैयार करने में पूरे जी जान से लगी हैं।
त्योहार पर खोवा का रेट तीन सौ रुपये पार
एक सप्ताह पहले तक खोवा बाजार में ढाई सौ रुपये प्रति किलो बिक रहा था, लेकिन होली के चलते खोवा की मांग बढ़ने पर इसका भाव भी ज्यादा हो गया। रविवार को अकबरपुर की साप्ताहिक बाजार में खोवा थोक में तीन सौ रुपये व फुटकर मे साढ़े तीन सौ रुपये किलो तक बिका। जबकि अभी होली में अभी एक सप्ताह है। ऐसे में रेट चार सौ रुपये से भी ज्यादा होने की उम्मीद है।
होली पर मिलावटखोर भी हुए सक्रिय
होली का त्योहार नजदीक आते ही जिलेभर में मिलावटखोर भी पूरी तरह सक्रिय हो गए हैं। होली पर सबसे ज्यादा खोवा से बनी मिठाइयां और गुझिया तैयार की जाती हैं। मिलावटी खोवा ग्रामीण इलाकों में दूधियों द्वारा तैयार किया जाता है। इस पर रोक लगाने में खाद्य सुरक्षा व औषधि प्रशासन पूरी तरह से नाकाम है।
जबकि विभाग ने खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को नकली दूध, मावा और मिठाई के कारोबारियों पर शिकंजा कसने के निर्देश दिए हैं, लेकिन यह टीम क्षेत्र में जाकर महज औपचारिकता निभाकर लौट आती है। आरोप है कि इनके साठगांठ से ही यह धंधा फल-फूल रहा है। मिलावटी मिठाई और खोवा के साथ ही मिलावटी कचरी, पापड़ और नमकीन बनाए जाने का काम भी तेज हो गया है।