Indian Idol के विजेता वैभव गुप्ता पहुंचे कानपुर...रोड शो के दौरान हुआ स्वागत, बाबा आनंदेश्वर में टेका माथा
इंडियन आईडल के विजेता वैभव गुप्ता कानपुर पहुंचे
कानपुर, अमृत विचार। जगन्नाथ यात्रा में भजन गायन से शुरू हुआ वैभव के सुरों का सफर इंडियन आइडल विजेता बनकर शहर लौटा। कानपुर का मान बढ़ाने वाले वैभव मंगलवार को जब शहर पहुंचे तो शहरवासियों ने उसके सम्मान में कोई कसर नहीं छोड़ी। शहर की सीमा गंगा बैराज से लेकर घर तक जबरदस्त स्वागत हुआ। फूल-मालाओं से लदे वैभव को परिजनों ने गले लगाकर खुशी का इजहार किया।
कल्याणपुर नानकारी के रहने वाले वैभव के पिता विष्णु गुप्ता परचून के थोक विक्रेता हैं। उन्होंने बताया वैभव को बचपन से ही गाने का शौक था। जब वह तीन वर्ष का था, उसकी माता का निधन हो गया। उसके बड़े पापा मुन्ना लाल व मम्मी प्रीति ने उसको पाला। वैभव ने 2023 में इंटर की परीक्षा पास की थी। उन्होंने बताया कि शहर में निकलने वाली जगन्नाथ यात्रा में अक्सर वैभव भजन गाने जाया करता था। उसके गुरु शशांक वैभव का मार्ग दर्शन करते रहते थे। वैभव का भजन लोग पसंद करते थे।
मंगलवार सुबह वैभव मुंबई से लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचे, फिर लखनऊ से शहर के लिए कार से रवाना हुए। इधर वैभव के स्वागत के लिए परिजन, रिश्तेदार, पड़ोसी और शहरवासी पहले से तैयार थे। सभी को उसका बेसब्री से इंतजार था। इंडियन आइडल सीजन 14 के विजेता वैभव जैसे गंगा बैराज पहुंचे, उनका ढ़ोल-नगाड़ों के साथ स्वागत किया गया। लोगों ने फूल-मालाएं पहनाएं।
शिव भक्त होने के नाते वैभव घर जाने से पहले सीधा आनंदेश्वर बाबा के दरबार पहुंचे। जहां उसने भोले का श्रंगार कर आशीर्वाद लिया। यहां से इंदिरानगर पहुंचे, जहां कोचिंग एसोसिएशन ने उनका स्वागत किया। डिस्प्ले लगाकर वैभव के शो को दिखाया गया। विधायक नीलिमा कटियार ने माला पहनाकर वैभव का स्वागत किया।
इसके बाद वह अपने घर की तरफ रवाना हुए। रास्ते में भी स्वागत हुए। घर पहुंचने पर भीड़ ने वैभव को घेर लिया और उसकी कामयाबी का जश्न मनाया। घर के पास परिजनों, रिश्तेदारों, यार-मित्र जमकर नांचे। वैभव का घर फूलों और रंग बिरंगी चुन्नियों से सजा है। समीप ही मंदिर को भी सजाया गया। उसके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा है।
पांचवीं बार मिली जीत
चार बार इंडियन आइडल के आडिशन से बाहर होने के बाद पांचवीं बार वैभव ने विजयी हासिल की। ट्राफी में 25 लाख रुपये का चेक और एक ब्रेजा कार जीती है। वैभव के पिता ने बताया कि आडिशन से बाहर हो जाने पर वह निराश हो जाता था, लेकिन कभी हताश नहीं होता था। वह लोगों की मिशल देता था कि लोग अनेकों प्रयास के बाद सफलता पाते हैं।
सिंगिंग के लिए छोड़ा फुटबाल खेलना
वैभव के पिता ने बताया कि उसे फुटबाल खेलने का भी शौक था। स्कूल में खेलता था। मगर सांस फूलने से गले की आवाज बदल जाती थी। इस कारण उसने फुटबाल खेलना छोड़ दिया। उन्होंने बताया कि वैभव घर में गाना गाता रहता था। एक दिन मैंने खुद उसका गाना सुना, फिर लगा इसको आगे जाना चाहिए। इसके बाद सिविल लाइंस स्थित रागेंद्र स्वरूप आडिटोरियम हॉल में सिंगिग प्रतियोगिता हुई। वहां वैभव को पहला स्थान मिला। इसके बाद 17 साल की उम्र में वैभव की सिंगिंग का सफर शुरू हो गया और आनंद सर से गाना सीखने लगा।
चार-पांच घंटे अभ्यास करता था रियाज
विष्णु गुप्ता ने बताया कि वैभव जब अभ्यास करता था तो उसका रियाज चार-पांच घंटे चलता था। उसकी मेहनत देखकर लगता था कि एक दिन वह जरूर कुछ अच्छा करेगा। वह सिर्फ तीन काम करता था। पहला गाने का अभ्यास, दूसरा पढ़ाई और तीसरा भगवान शंकर की आराधना।