Pilibhit: जंगलों पर निर्भरता होगी कम, ग्रामीण करेंगे ऑर्गेनिक शहद का उत्पादन...जल्द मिलेगा प्रशिक्षण
पीलीभीत, अमृत विचार। जंगल से सटे गांव टांडा छत्रपति के ग्रामीण ऑर्गेनिक शहद की उत्पादन करेंगे। विश्व प्रकृति निधि एवं पीलीभीत टाइगर रिजर्व ने ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ने की कवायद शुरू कर दी, ताकि इन ग्रामीणों की जंगलों पर निर्भरता कम हो सके। जल्द ही ग्रामीणों का चयन कर प्रशिक्षित किया जाएगा।
जनपद के जंगल को जून 2014 में टाइगर रिजर्व का दर्जा दिया गया था। टाइगर रिजर्व बनने के बाद जंगल से सटे गांवों के ग्रामीण, जिनकी आजीविका मात्र जंगल पर ही टिकी थी, उनके आगे रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था। अब विश्व प्रकृति निधि द्वारा पीलीभीत टाइगर रिजर्व के सहयोग से जंगल से सटे गांवों के ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ने की योजना बनाई गई थी।
इसको लेकर जंगल सीमा से जुड़े गांवों में ईको विकास समितियों का गठन कर ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ा जा रहा है। विश्व प्रकृति निधि के सहयोग से पुरैना ताल्लुके महाराजपुर के ग्रामीण आर्गेनिक शहद का उत्पादन कर रहे हैं। यहां के ग्रामीण अपने उत्पाद को लेकर फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी का टैग भी ले चुके हैं। वहीं बराही रेंज से सटे सेल्हा गांव के ग्रामीण टूरिज्म के क्षेत्र में उतरे हैं।
यहां के ग्रामीणों ने दूर-दराज से आने वाले पर्यटकों के ठहरने के लिए 11 रुमों का निर्माण कराया है। खानपान के लिए कैंटीन का भी संचालन किया जा रहा है। इसी कड़ी में अब बराही रेंज से सटे पूरनपुर ब्लाक के गांव टांडा छत्रपति को जोड़ा जा रहा है।
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ द्वारा पीटीआर के सहयोग से जंगल से सटे गांवों को रोजगार से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं। इको विकास समितियों के माध्यम से ग्रामीण रोजगार से जुड़ भी रहे हैं। गांव टांडा छत्रपति को जोड़ा गया है। शहद उत्पादन के लिए ग्रामीणों को संसाधन मुहैया कराने के साथ प्रशिक्षित किया जाएगा।- डॉ. मुदित गुप्ता, वरिष्ठ समन्वयक, तराई आर्क लैंड स्केप
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