अयोध्या: 'विदेशी बीजों में विषाणु जनित रोग प्रमुख समस्या, कम होना चाहिये आयात'

पूर्व महानिदेशक पदमश्री डॉ. आरएस परौदा बोले- जलवायु परिवर्तन की समस्या से उभरने के लिए संरक्षित खेती जरूरी 

अयोध्या: 'विदेशी बीजों में विषाणु जनित रोग प्रमुख समस्या, कम होना चाहिये आयात'

अयोध्या। विदेशों से आयात हुए बीजों के साथ कुछ विषाणु जनित रोगों का आना प्रमुख समस्या है। इसके लिए हमें कम मात्रा में विदेशों से बीजों का आयात करना चाहिए। दो वर्ष तक परीक्षण करने के पश्चात ही उपयोग में लाना चाहिए। वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन जैसी मुख्य समस्या से उभरने के लिए संरक्षित खेती पर जोर देना होगा। भारत विदेशों में सब्जियों को निर्यात करने में एक सक्षम देश बन चुका है। वर्तमान समय में सब्जियों के जैविक एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की जरूरत है।

ये बातें शनिवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक पदमश्री डॉ. आरएस परौदा ने कहीं। वो आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में बदलती जलवायु व्यवस्था के तहत सब्जी उत्पादन में तकनीकी नवाचार विषय पर स्वर्ण जंयती राष्ट्रीय संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। 

भारतीय कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल नई दिल्ली के सदस्य डॉ. मेजर सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन को देखते हुए नए प्रजनन विधियों के द्वारा सब्जियों के बीज को तैयार किए जाने की जरूरत है। उन्होंने वैज्ञानिकों से अपील करते हुए कहा कि बदलते जलवायु परिवर्तन के लिए नए अनुसंधान करें।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कृषि विवि के कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह ने सभी वैज्ञानिकों का स्वागत करते हुए कहा कि सब्जियों के उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ गुणवत्ता बनाए रखने पर आगे भी कार्य करना होगा। वर्तमान में सब्जियों में नवाचार पर अनुसंधान के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण बीज तैयार करने की जरूरत है। कुलपति ने कहा कि विवि सब्जियों की विभिन्न किस्मों पर कार्य कर रहा है। जो देश के सभी हिस्सों में अच्छा उत्पादन देगी। 

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इससे पूर्व सभी अतिथियों ने आचार्य नरेंद्र देव की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं जल भरो के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। छात्राओं ने विवि कुलगीत प्रस्तुत कर सभी अतिथियों का स्वागत किया। सभी अतिथियों को कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह ने शॉल, पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया।

कृषि महाविद्यालय आजमगढ़ के एसोसिएट डीन डॉ. डीके सिंह एवं वानिकी अधिष्ठाता डॉ. संजय पाठक के संयोजन में कार्यक्रम आयोजित हुआ। स्वागत संबोधन डॉ. टीके बहेरा एवं अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ. संजीत कुमार ने किया। इस मौके पर विभिन्न संस्थानों से आए निदेशक, कुलपति, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं विवि की कमेटी के सभी अध्यक्ष, सह अध्यक्ष एवं सदस्य मौके पर मौजूद रहे।

37 वर्ष बाद हुई स्वर्ण जयंती राष्ट्रीय संगोष्ठी

कृषि विवि के कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह ने कहा कि बताया कि 37 वर्षों के बाद विवि में इतना बड़ा कार्यक्रम आयोजित होना पूरे विश्वविद्यालय के लिए गर्व की बात है। इसमें देश व प्रदेश स्तर के वैज्ञानिक शामिल हुए। इस अवसर पर कृषि जगत में सब्जी विज्ञान के क्षेत्र को गौरवान्वित करने वाले 30 वैज्ञानिकों को अवार्ड देकर सम्मानित किया गया। जिसमें डॉ. अनिलआभा दास मुंशी को डॉ. कीर्ती सिंह लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड 2021 और डॉ. प्रणव हजारा को डॉ. कीर्ती सिंह लाइफ अचीवमेंट अवार्ड 2022 से नवाजा गया।

कृषि जगत में सब्जी विज्ञान के क्षेत्र को गौरवान्वित करने वाले 26 वैज्ञानिकों को आईएसवीएस फेलो अवार्ड देकर सम्मानित किया गया। जिसमें कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह, डॉ. सुधाकर पांडेय, डॉ. मेजर सिंह, डॉ. नीरजा प्रभाकर, डॉ. राजेश कुमार, डॉ. एनसी गौतम, डॉ. डीपी सिंह, डॉ. उमेश श्रीवास्तव, डॉ. मथुरा राय, डॉ. पीएस, नायक, डॉ. के.वी लवांडे, डॉ. नजीर अहमद, डॉ. टीआर गोपालाकृष्णन, डॉ. एपी राय, डॉ. एसआर शर्मा, डॉ. सुबोध जोशी, डॉ. प्रीतम कालिया, डॉ. एसके दादलानी, डॉ. जेसी राजपूत, डॉ. नारायण चावला, डॉ. डीआर भारद्वाज, डॉ. बागेश तिवारी को सम्मानित किया गया। चार वैज्ञानिकों को डॉ. हरभजन सिंह अवार्ड से सम्मानित किया गया।

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