UP: क्या फायदा ऐसी डिग्री का...जो एक नौकरी न दिला सकी, B.Sc के कागज जलाए और खुद को दी ऐसी सजा... जानकर सब हुए हैरान

कन्नौज में इकलौते पुत्र ने शैक्षिक प्रमाण पत्र जलाकर लगाई फांसी

UP: क्या फायदा ऐसी डिग्री का...जो एक नौकरी न दिला सकी, B.Sc के कागज जलाए और खुद को दी ऐसी सजा... जानकर सब हुए हैरान

कन्नौज, अमृत विचार। नौकरी नहीं मिलने से नाराज एकलौते पुत्र ने बीएससी तक के शैक्षिक प्रमाण पत्र जला दिये। माता-पिता के नाम सुसाइड नोट लिखकर अपने मकान के कमरे में फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली। जानकारी पर परिजनों में कोहराम मच गया। दिल्ली में प्राइवेट नौकरी कर रहे पिता को घटना की सूचना दी गई। पुलिस ने मौके पर पहुंच शव का पोस्टमार्टम कराया।

सदर कोतवाली क्षेत्र के गांव भूडपुर्वा निवासी लक्ष्मन पाल के 25 वर्षीय पुत्र बृजेश पाल ने अपने मकान के कमरे में फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली। सुबह होने पर जब वह कमरे से बाहर नहीं निकला तो परिजनों ने आवाज दी, अंदर से कोई आवाज न मिलने पर मां ने कमरे में झांक कर देखा तो बृजेश फांसी के फंदे पर लटका मिला।

यह देख परिजनों में कोहराम मच गया। मामले की सूचना पूर्व ग्राम प्रधान सर्वेश कुमार ने कोतवाली पुलिस को लिखित में दी। इसी के आधार पर पहुंची पुलिस ने छानबीन कर शव को फांसी के फंदे से उतारा। इस दौरान कमरे में कुछ कागजात जले हुए मिले। मौके पर एक सुसाइड नोट भी लिखा मिला है। 

22 फरवरी को लिखा सुसाइड नोट

माता-पिता मुझे माफ कर देना, मैं आपको धोखा देने जा रहा हूॅं। मौत के बाद किसी को परेशान न किया जाएं। मैं अपनी मौत का खुद जिम्मेदार हूॅं। मैं अब और जीना नहीं चाहता हूॅं। किसी प्रकार की कोई तकलीफ नहीं थी। बस हमारा मन भर गया है। आज मैं सबका साथ छोड़ने जा रहा हूॅं। हो सके तो हमको माफ कर देना। आज का दिन हमारे लिए आखिरी है। आज हमने अपनी मां के साथ खाना खाया और हम अपने मां-बाप को धोखा देने जा रहे है। पाना का ख्याल रखना और बोल देना हमारा तुम्हारा इतना साथ था। संगीता की शादी अच्छे से करना भले ही हम नहीं है। हमने B.Sc के सारे कागज जला दिए है। क्या फायदा ऐसी डिग्री का जो एक नौकरी न दिला सकी। हमारी आधी उम्र पढ़ते-पढ़ते निकल गई, इसलिए हमारा मन भर गया है। 

पुलिस भर्ती का पेपर लीक होने से था मायूस

इसके बाद उसने फांसी लगा ली। परिजनों ने बताया कि उसने हाल ही में पुलिस भर्ती परीक्षा दी थी। पेपर लीक होने के बाद से वह मायूस रहने लगा था। उसने अपने दोस्तों को भी बताया कि उसका पेपर अच्छा हुआ है। वह पास हो जायेगा। गुरुवार को गांव में श्रीमद् भागवत कथा के समापन पर साथियो के साथ गंगा जी भी गया था। रात में मां व बहन के साथ खाना खाने के बाद वह अपने कमरे में सोने चला गया। इसके बाद उसने अपने कागजात जलाये, सुसाइट नोट लिखा और फांसी लगा ली। बृजेश पाल अपने पिता का एकलौता पुत्र था। बृजेश की दो बहन भी हैं इन में एक की शादी हो चुकी है एक की शादी होनी है।

घर से संपन्न था बृजेश

बृजेशपाल अपने पिता का एकलौता पुत्र होने के साथ ही सम्पन्न था। पिता दिल्ली में किसी फैक्ट्री में नौकरी करते हैं। बृजेश पाल घर में रह कर खुद की खेती करने के अलावा पढ़ाई करता था। नौकरी की तलाश में वह आवेदन करता रहता था। उसकी मंशा थी कि वह भी अन्य लोगों की तरह सरकारी नौकरी करें। इसी लिये वह शिक्षाध्यन के साथ ही नौकरी की खोज के लिये आवेदन करता रहता था। 

मां बोली बुझ गया घर का चिराग

पुत्र बृजेश पाल की मौत के बाद मां बोली उसके घर का चिराग बुझ गया। अब उसके घर की देखभाल कौन करेगा। बुढ़ापे में उसे सहारा कौन देगा। उसने शाम को खाना खाने के दौरान एकवार भी सावित नहीं होने दिया कि वह आज अंतिम वार उसके साथ खाना खा रहा है। बहन का भी हाल वेहाल है। एकलौते भाई के गम में वह भी बेहोश होकर गिर रही थी।

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