मसाले की फसलों से कारोबार की संभावना अधिक...CSA के विशेषज्ञ बोले- खेत से निर्यात तक का सफर तय कर सकते हैं किसान
कानपुर में सीएसए के विशेषज्ञों ने किसानों को खाद्य मसालों की फसलों के प्रति बढ़ाया रुझान

कानपुर, अमृत विचार। सीएसए के वैज्ञानिकों ने गुरुवार को किसानों को मसाला फसलों के बारे में जागरुक किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में किसानों को बताया गया कि प्रदेश में किसान मसाला फसलों के जरिए उत्पादन में इजाफा कर रहे हैं।
किसानों को इस दौरान नई प्रजातियों की भी जानकारी दी गई। इसके अलावा यह भी संदेश दिया गया कि मसाला फसलों के जरिए किसान खेत से निर्यातक बनने का सफर तय कर सकते हैं।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सब्जी अनुभाग की ओर से रसूलाबाद के किसानों को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में विभागाध्यक्ष डॉ राम बटुक सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में लगातार मसाला फसलों के उत्पादन और क्षेत्रफल में वृद्धि हो रही है।
किसानों को विश्वविद्यालय की ओर से विकसित नवीन प्रजातियों व कृषि तकनीकों को अपनाकर उन्नत खेती की ओर से रुख करना चाहिए। कार्यक्रम में डॉ. राजीव ने किसानों से अपील की कि वे वैज्ञानिकों की ओर से बताई गई कृषि तकनीकों को जरूर अपनाएं।
नवीन तकनीक को अपनाकर वे स्वावलबी हो कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. अरुण कुमार सिंह ने कहा कि किसी भी खेती के मुकाबले मसाला खेती किसानों को बेहतर लाभ दे सकती है। उधर विभाग के डॉ. संजीव कुमार सचान ने लहसुन व प्याज की खेती की वैज्ञानिक विधाएं बताई।
उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे अधिक से अधिक क्षेत्रफल में प्याज व लहसुन की खेती करें। उन्होंने मसालों के साथ सहफसली खेती की तकनीकों पर प्रकाश डाला और कहा कि सह फसली खेती से किसानों को अधिक मुनाफा होगा। प्रशिक्षण के दौरान वैज्ञानिक डॉ अजय कुमार यादव ने भी विचार व्यक्त किए।