हल्द्वानी: न वीजा चाहिए न पासपोर्ट, दो घंटे में हल्द्वानी से नेपाल बार्डर पार...कहीं अब्दुल मलिक इसी रास्ते तो...!

हल्द्वानी: न वीजा चाहिए न पासपोर्ट, दो घंटे में हल्द्वानी से नेपाल बार्डर पार...कहीं अब्दुल मलिक इसी रास्ते तो...!

सर्वेश तिवारी, हल्द्वानी, अमृत विचार। तस्करों के लिए भारत-नेपाल के बीच चोर रास्ते हमेशा से मददगार रहे हैं और अगर पुलिस की चौकसी में चूक हुई है तो बनभूलपुरा दंगे का मास्टर माइंड अब्दुल मलिक कभी का नेपाल पहुंच चुका होगा। क्योंकि हल्द्वानी से नेपाल में दाखिल होने के लिए न तो वीजा चाहिए और न ही पासपोर्ट। उल्टा उत्तराखंड की सीमा से नेपाल में दाखिल होने के लिए हल्द्वानी से सिर्फ दो घंटे चाहिए। हालांकि पुलिस ऐसा मान रही है कि मलिक अभी भारत में ही है। 

अब्दुल मलिक अपने बेटे अब्दुल मोईद के साथ फरार है। न तो मलिक की पत्नी का पता है और न ही मोईद की। माना जा रहा है कि दोनों साथ हैं। मलिक और मोईद के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी हो चुका है। ऐसे में कानूनी तरीके से दोनों देश नहीं छोड़ सकते, लेकिन बनबसा और टनकपुर से जुड़े ऐसे तमाम चोर रास्ते हैं, जो दोनों को बिना किसी रोक-टोक के नेपाल पहुंचा सकते हैं।

इन चोर रास्तों की जानकारी रखने वालों का कहना है कि धारचूला, झूलाघाट, चम्पावत और बनबसा में ऐसे रास्तों की भरमार हैं, जिनका इस्तेमाल तस्कर करते हैं। धारचूला पहुंचने के बाद नदी को ट्यूब और रस्सी के सहारे पार किया जाता है। झूलाघाट में रोड के साथ चोर हैं। चम्पावत जिले के पंचेश्वर से नेपाल के लिए रास्ता है। इसी जिले का तल्लादेश इसी बात से लिए प्रसिद्ध है। बूम और टनकपुर के साथ बनबसा के चोर रास्ते भी मलिक के भाग निकलने के लिए बिल्कुल मुफीद हैं। 


टीजे सड़क में जगह-जगह लूज प्वाइंट
हल्द्वानी : टनकपुर के रुपाली घाट से धारचूला जाने वाली टीजे सड़क नेपाल बार्डर से होकर गुजरती है। इस लंबी सड़क की जगह-दगह निगरानी भी आसान नही हैं। तस्करी की आशंका होकर पूर्व विधायक पूरन फर्त्याल हाईकोर्ट पहुंच गए थे। ये सड़क काली नदी के पास होते हुए नेपाल बार्डर के किनारे से गुजरती है। पूर्णागिरी मंदिर के नीचे से होकर गुजरने वाली सड़क तक पहुंचना हर किसी के लिए मुफीद है। यहां जगह-जगह ट्रालियां भी लगी हैं। पंचेश्वर में ट्रॉली के साथ सीमा पाकर करने के लिए कई जगह रस्सियां लगी हैं। 
 
बारिश भी दे सकती है मलिक का साथ
हल्द्वानी : भारत और नेपाल के बीच नदी है और इसी नदी को दोनों देश की सीमा माना जाता है। बारिश के दिनों में कहीं काली, सरयू तो कहीं शारदी कही जाने वाली नदियां उफान पर होती हैं और इन्हें पार करने का मतलब जान जोखिम में डालना होता, लेकिन सर्दी के इस सीजन में बारिश नहीं हुई। जिससे न तो नदी किनारे जंगल घने हुए और न ही नदियां उफान पर हैं। ऐसे में जंगल से होकर जाने में खतरा भी कम है और नदी को भी आसानी से पार किया जा सकता है। एसएसबी की मुस्तैदी तो होती है, लेकिन हर स्थान पर निगहबानी मुम्किन नहीं है। 

नेपाल के ब्रह्मदेव मंदिर में होती है भीड़-भाड़
हल्द्वानी : उत्तराखंड के चम्पावत जिले का एक छोटा का शहर है टनकपुर। टनकपुर नेपाल बॉर्डर पर बसा है। टनकपुर से करीब ढाई किलोमीटर दूर है ब्रह्मदेव मंदिर। ये मंदिर नेपाल में है, लेकिन टनकपुर से चंद मिनट की दूरी पर। टनकपुर से ब्रह्मदेव मंदिर आने-जाने के लिए किसी भी तरह की रोक-टोक नहीं है। लोग बाइक और साइकिल से भी आना-जाना करते हैं। शाम ढलते ही मंदिर के आस पास के इलाके में मौज-मस्ती का दौर शुरू हो जाता है। यहीं एसएसबी का चेकपोस्ट भी है, लेकिन एसएसपी की बारीक नजर अक्सर तस्करों पर होती है।