कूटनीतिक सफलता
कतर में मौत की सजा पाने वाले भारतीय नौसेना के आठ पूर्व जवानों की सकुशल घर वापसी को मुमकिन बनाने के कतर के अमीर के फैसले की सराहना की जानी चाहिए। ध्यान रहे कतर की एक अदालत ने 26 अक्टूबर, 2023 को भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई थी।
साल 2022 में कतर की एक कंपनी में काम करने वाले इन अधिकारियों पर जासूसी का आरोप लगाकर वहां की सरकार ने गिरफ्तार कर लिया था। ये सभी पूर्व अधिकारी वहां की ‘अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज’ नाम की कंपनी के लिए काम कर रहे थे।
सवाल उठा कि क्या सरकार इन्हें बचा पाएगी, वो क्या रास्ता निकालेगी और उन्हें लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर क्या कदम उठाएंगे? इन पर जासूसी के आरोप लगे थे। इनकी वापसी नामुमकिन सी थी, लेकिन भारत सरकार की कूटनीति और रणनीति काम आई। इन्हें रिहा कराने के लिए भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर मजबूत रणनीति बनाई।
दरअसल भारत और कतर के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। कतर में आठ लाख से भी ज्यादा भारतीय रहते और काम करते हैं। भारत अपनी 40 फीसदी तरल प्राकृतिक गैस या एलएनजी कतर से हासिल करता है। पैट्रोनैट द्वारा 2029 से 20 साल के लिए कतर से सालाना 75 लाख टन तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) खरीद अनुबंध का नवीकरण संभवत: दुनिया में इस ईंधन की खरीद का सबसे बड़ा सौदा है।
ऐसे में भारत ने शुरू से ही इस मामले को लेकर कतर से बातचीत जारी रखी। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल दिसंबर में कतर के अमीर शेख तमीम बिन हम्द अल-थानी से दुबई में हुए सीओपी 28 सम्मेलन से इतर मुलाकात की थी।
इस बैठक में पीएम मोदी ने पूर्व भारतीय नौसैनिकों की रिहाई के मसले पर बात की। जानकारों के मुताबिक कतर एक ऐसा देश रहा है जो हमेशा मध्यस्थता करके दो देशों के विवादों को सुलझाने में मदद के लिए जाना गया है। इजराइल और हमास के बीच भी कतर ने मध्यस्थता की। इस पूरे घटनाक्रम के बीच 2014 की संधि को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता, जिसमें तय किया गया था कि अगर किसी कारण से दोनों देशों के नागरिकों को सजा मिलती है तो वो अपने देश में सजा काट सकते हैं।
चर्चा इस बात की थी कि भारत सरकार ने इस मामले को कूटनीतिक नजरिए से उठाते हुए अमेरिका और तुर्किए से भी बातचीत की थी। वैश्विक स्तर पर भारत की इस ऐतिहासिक कूटनीतिक सफलता के पीछे दुनिया में भारत का बढ़ता कद भी रहा। भारत ने जिस तरह मामले को उठाया, उसके आगे कतर को कैदियों को राहत देनी पड़ी।