हाइकोर्ट का दीवाली गिफ्ट: जल निगम भर्ती घोटाले में बाहर हुए अयोध्या के भी 21 कर्मचारी होंगे बहाल, जूनियर इंजीनियर और क्लर्क के पद पर मिली थी तैनाती

हाइकोर्ट का दीवाली गिफ्ट: जल निगम भर्ती घोटाले में बाहर हुए अयोध्या के भी 21 कर्मचारी होंगे बहाल, जूनियर इंजीनियर और क्लर्क के पद पर मिली थी तैनाती

अमृत विचार, अयोध्या: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दीवाली गिफ्ट दिया है। जल निगम भर्ती घोटाला सामने आने के बाद निकाले गए जूनियर इंजीनियर व क्लर्कों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने सीएफएसएल जांच रिपोर्ट में दागी पाए गए 169 को छोड़कर शेष चयनित अभ्यर्थियों की सेवा बहाल करने का आदेश दिया है। इसमें अयोध्या में कार्यरत 21 कर्मचारी भी शामिल हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार की अदालत ने समराह अहमद समेत सैकड़ों अभ्यर्थियों की ओर से तीन साल सेवा करने के बाद चयन रद्द किए जाने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका स्वीकार करते हुए दिया है।
      
दरअसल यह भर्ती घोटाला सपा के सरकार में हुआ था। आरोप लगा था की कुछ अभ्यर्थियों को बढ़ा चढ़ा कर नम्बर देकर नियुक्ति की गई थी। एसआईटी जांच में सामने आया की चहेतों को बढ़ा चढ़ाकर नम्बर दिया गया था। इस मामले में तत्कालीन मंत्री आजम खां को भी दोषी बनाया गया है। सीएंडडीएस यूनिट के लेखा सहायक रहे अभिषेक पांडेय ने बताया कि आदेश के मुताबिक, कोर्ट की राहत के हकदार केवल याची होंगे। सेवा बहाली पाने वाले याची याचिका लंबित रहने की अवधि के लिए वेतन के किसी भी बकाया के हकदार नहीं होंगे, जबकि उनकी वरिष्ठता बहाल की जाएगी और काल्पनिक वेतन वृद्धि के साथ वेतन संरक्षण भी प्रदान किया जाएगा।

वर्ष 2021 में उत्तर प्रदेश जल निगम के जूनियर इंजीनियर के 853 पदों पर चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति रद्द करने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। याचियों का कहना है कि चयन रद्द करने से पूर्व उनको सुनवाई का मौका नहीं दिया गया। याची अधिवक्ता अशोक खरे और सीमांत सिंह ने दलील दी थी कि जूनियर इंजीनियर भर्ती का चयन परिणाम एक जुलाई, 2017 को जारी हुआ। याचीगण उसमें सफल घोषित किए गए। इसके बाद उन्हें नियुक्ति मिल गई। विभिन्न जिलों में उनकी तैनाती कर दी गई। इसी बीच अंतिम उत्तरकुंजी के कुछ प्रश्नों को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। कोर्ट ने विभाग को याचीगण की शिकायतों पर विचार कर निर्णय लेने का निर्देश दिया। इस आदेश के परिपेक्ष्य में विभाग ने पूरा चयन परिणाम निरस्त करते हुए चयनित याचियों की नियुक्तियां रद्द कर दी। ऐसा करने से पूर्व याचियों को न तो कोई नोटिस दी गई और न ही उनको अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया। यह भी नहीं बताया गया कि चयन परिणाम दूषित होने में याचीगण कैसे उत्तरदायी हैं? परीक्षा एजेंसी से कराई गई थी। भर्ती परीक्षा मेसर्स अपटेक ने कराई थी।

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