Kasganj News: स्वच्छ पानी की गहराई में घरौंदे बनाएगी डॉल्फिन, 4.72 करोड़ का प्रस्ताव विभाग ने बनाया

Kasganj News: स्वच्छ पानी की गहराई में घरौंदे बनाएगी डॉल्फिन, 4.72 करोड़ का प्रस्ताव विभाग ने बनाया

कासगंज, अमृत विचार: जिले में लगातार डॉल्फिन संरक्षण की कवायद चल रही है। पिछले ही साल हजारा गंग नहर में डॉल्फिन का परिवार देखा गया। उसके बाद संरक्षण की पहल और मजबूत कर दी गई। अलीगढ़ के प्रभागीय निदेश की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को शासन स्तर पर स्वीकार कर लिया गया है। अब वहां से स्वीकृति मिलने की देरी है। शासन स्तर पर काफी मंथन चल रहा है।

वन विभाग ने अलीगढ़ से कासगंज के बीच डॉल्फिन के संरक्षण के लिए सर्वे कराया। लगभग छह महीने पहले कराए गए सर्वे में यहां डॉल्फिन के सुरक्षित रहने की तमाम संभावनाएं तलाशी गई। उसके बाद वन विभाग ने संरक्षण की योजना बनाई। प्रभागीय निदेशक अलीगढ़ की ओर से कासगंज अलीगढ़ के बीच डॉल्फिन संरक्षण के लि बॉच टॉवर और जगह जगह सर्वे की योजना का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया। 

करोड़ों रूपये के इस प्रस्ताव को वन विभाग ने काफी उम्मीदों के साथ भेजा। हालांकि प्रस्ताव अभी लंबित हैं,लेकिन यह पुष्टि हो गई है कि शासन में प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया है। इधर उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिल जाएगी। उसके बाद डॉल्फिन संरक्षण की कवायद तेज हो जाएगी।

पानी की गहराई में सुरक्षित महसूस करती हैं डॉल्फिन
वन विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि डॉल्फिन एक ऐसी जलीय जीव है जो गहरे और स्वच्छ पानी में रहना पसंद करती है। कासगंज में दतलाना, कादरगंज सहित कई प्वाइंट ऐसे हैं जहां गंगा नदी में पानी की गहराई अधिक है।

4.72 करोड़ का प्रस्ताव
अलीगढ़ व कासगंज में डाल्फिन संरक्षण के लिए 4.72 करोड़ का प्रस्ताव वन विभाग ने बनाया है। इससे चार वाच टावर बनवाए जाएंगे। स्टीमर, नाव समेत अन्य उपकरण खरीदे जाएंगे। गंगा किनारे के लोगों को संरक्षण के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। वन विभाग, मत्स्य विभाग व ग्राम्य विकास विभाग के अफसरों को प्रशिक्षण दिलाया जाएगा।

दुर्लभ प्रजातियों में एक है डाल्फिन
डाल्फिन दुर्लभ प्रजातियों में से एक है। 2009 में केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया था। इसके बाद से देश भर में गंगा डाल्फिन के लिए सर्वे कराया जा रहा है।

शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। शासन स्तर पर मंथन चल रहा है। जल्द ही स्वीकृति मिलने की संभावना है। उसके बाद डॉल्फिन संरक्षण की कवायद तेज हो जाएगी--- दिवाकर वशिष्ठ, प्रभागीय निदेशक वन विभाग अलीगढ़।

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