Kanpur Dehat: 42 साल से न्याय को तरसते पीड़ित; मिल रही तारीख पर तारीख, बेहमई नरसंहार कांड में फिर टली सुनवाई...
बेहमई नरसंहार कांड में सुनवाई फिर टल गई है।
जिले के बहुचर्चित बेहमई सामूहिक नरसंहार कांड में कानूनी दांव-पेंच के चलते 42 साल बाद भी पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाया है। एंटी डकैती कोर्ट में विचाराधीन इस मामले में बार-बार तारीख बढ़ने से पीड़ित पक्ष में खासी निराशा है।
कानपुर देहात, अमृत विचार। जिले के बहुचर्चित बेहमई सामूहिक नरसंहार कांड में कानूनी दांव-पेंच के चलते 42 साल बाद भी पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाया है। एंटी डकैती कोर्ट में विचाराधीन इस मामले में बार-बार तारीख बढ़ने से पीड़ित पक्ष में खासी निराशा है। मंगलवार को एक बार फिर सुनवाई टल गई। अब कोर्ट ने इस मुकदमें में सुनवाई के लिए पांच फरवरी की तारीख नियत की है।
यमुना के बीहड़ पट्टी में स्थित बेहमई गांव में 14 फरवरी 1981को दस्यु फूलन देवी ने अपने गिरोह के साथ धावा बोलकर लूटपाट करने के साथ ही 20 लोगों को कतार में खड़ा कर मौत के घाट उतार दिया था, जबकि डकैतों की गोलियों से छह लोग घायल हुए थे। जिले के इस सबसे बड़े मुकदमे में हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक पत्रावली घूमने के बाद सेशन कोर्ट में वापस आई, लेकिन कानूनी दांव-पेंच के चलते 42 साल बीतने बाद भी बेहमई कांड के पीड़ितों को न्याय नहीं मिल सका है।
इस दौरान मुकदमे के वादी और घायलों के साथ कई गवाह तथा न्याय का इंतजार करते हुए कई विधवा महिलाएं दुनिया छोड़ गईं, जबकि फूलन देवी सहित तमाम आरोपितों की भी मौत हो चुकी है। इस मुकदमें में फरार चल रहे आरोपित विश्वनाथ उर्फ अशोक, रामरतन व मानसिंह को पुलिस गिरफ्तार करने में अभी तक नाकाम है। फरार आरोपितों को पकड़ना तो दूर पुलिस उनका सुराग तक नहीं लगा पाई है।
मंगलवार को स्पेशल जज एंटी डकैती अमित मालवीय की कोर्ट में इस मुकदमे की सुनवाई की तारीख नियत थी, लेकिन दोपहर बाद एक बार फिर से सुनवाई टल गई। इस दौरान आरोपित श्यामबाबू और विश्वनाथ अदालत में हाजिर रहे। बचाव पक्ष के अधिवक्ता गिरीश नारायण दुबे ने बताया कि व्यस्तता के चलते सुनवाई नहीं हो सकी है। अब कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए पांच फरवरी की तारीख नियत की है।