बरेली: प्रापर्टी की खातिर माता-पिता का हत्यारा बना अधिवक्ता, कोर्ट ने विरल से विरलतम अपराध मान कर सुनाई फांसी की सजा
बरेली, अमृत विचार। मीरगंज के गांव बहरोली में संपत्ति के विवाद में दिनदहाड़े अपने बुजुर्ग माता-पिता की गोली मारकर हत्या करने वाले वकील दुर्वेश कुमार को अदालत ने मंगलवार को फांसी की सजा सुनाई। उस पर 13 हजार का जुर्माना भी डाला। दुर्वेश ने अपने माता-पिता दोनों को तीन-तीन गोलियां मारी थीं।
दुर्वेश कुमार मूल रूप से बहरोली गांव का ही रहने वाला है और मीरगंज में वकालत की प्रैक्टिस करता था। 13 अक्टूबर 2020 को सुबह करीब छह बजे वह मीरगंज से बहरोली पहुंचा था और घर में पूजा कर रहे पिता लालता प्रसाद की तमंचे से एक-एक कर तीन गोली चलाकर हत्या कर दी।
इसके बाद उनकी लाश को घसीटकर कमरे में ले गया और चादर से ढक दिया। मां मोहन देई ने शौचालय में घुसकर जान बचाने की कोशिश की लेकिन अंदर से दरवाजा बंद कर पाने से पहले ही उनकी भी हत्या कर दी। उन्हें भी उसने तीन गोली मारी थीं, इसके बाद तमंचा लहराता हुआ फरार हो गया।
पुलिस ने उसे करीब एक महीने बाद नौ नवंबर 2020 को गिरफ्तार कर उसकी निशानदेही पर तमंचा, कारतूस और खून से सने कपड़े बरामद किए थे। इस बीच अदालत उसके खिलाफ गैरजमानती और कुर्की वारंट जारी कर चुकी थी। परीक्षण में दोषी पाए जाने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने उसे मंगलवार को फांसी की सजा सुनाई।
इससे पहले सजा के प्रश्न पर बहस के दौरान जिला शासकीय अधिवक्ता सुनीति कुमार पाठक ने सभ्यता, संस्कृति, संस्कार और मानवता की सीमा से परे जाकर अपने बुजुर्ग माता-पिता की करने के जुर्म में दुर्वेश को मृत्युदंड देने की मांग की। कहा, समाज में कठोर संदेश जाना चाहिए ताकि कोई पुत्र ऐसा अपराध करने का विचार भी मन में न लाए।
एडीजीसी क्राइम सुनील पांडेय के मुताबिक इस मामले में दुर्वेश के भाई उमेश कुमार सिंह ने थाना मीरगंज में एफआईआर दर्ज कराई थी। अभियोजन की ओर से नौ गवाह पेश किए गए। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि दोषी को फांसी के फंदे पर तब तक लटकाया जाए, जब तक उसकी मृत्यु न हो जाए।
अदालत ने कहा- राम और भीष्म के देश में दुर्वेश जैसे बेटे सभ्यता के पतन की पहचान
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि देश प्रगति के पथ पर तो बढ़ रहा है लेकिन ऐसा लगता है कि संस्कार पीछे छूटते जा रहे हैं। माता-पिता के संबंध में भारत का गौरवशाली अतीत रहा है। भगवान राम ने पिता के दिए वचन का पालन करने के लिए 14 वर्ष का वनवास सहर्ष स्वीकार किया। भीष्म पितामह ने पिता शांतनु के विवाह के लिए आजीवन ब्रह्मचारी रहने का प्रण लिया ताकि दूसरी पत्नी के पुत्र के राजतिलक में बाधा न आए।
इसी देश में सभ्यता अब पतन के इस दौर से गुजर रही है कि उच्चशिक्षित विधि विशेषज्ञ पुत्र रिटायर अध्यापक पिता की पूजा करते हुए हत्या कर देता है और प्राण बचाने के लिए छिप रही मां को भी गोली मारने में उसका दिल नहीं पसीजता। अदालत ने गरुण, पद्य पुराण, वाल्मीकि रामायण, कुरआन, बाइबिल की नजीरें भी दीं।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने बताई थी नृशंसता की कहानी
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में 76 साल के लालता प्रसाद के तीन गोलियां लगना पाया गया था। छाती पर गोलियां लगने के कारण उनकी सभी पसलियां टूटी हुई थीं और हृदय भी फट गया था। सत्तर साल की मोहन देई के भी तीन गोलियां लगी थीं, उनकी छाती की सभी दाहिनी पसलियां टूटी हुई थीं और दोनों फेफड़े फट गए थे।
अपील करेगा बचाव पक्ष
बचाव पक्ष के अधिवक्ता अरुण सक्सेना ने कहा कि वह अदालत के आदेश पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे लेकिन अभी यह न्याय की अंतिम सीढ़ी नहीं है। उच्च न्यायालय से उन्हें उम्मीद है कि न्याय मिलेगा। पार्टी अगर चाहेगी तो निर्णय के विरुद्ध अपील की जाएगी।
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