पीलीभीत: ईंधन के लालच में जोखिम में डाली जान, अफसर बोले- जंगल में ग्रामीण की करा रहे तलाश, घटना अभी पूरी तरह साफ..जांच जारी

पीलीभीत, अमृत विचार। काम के बदले ईधन, इसी लालच में जमुनियां का गंगाराम भी पिछले दो दिन से जान जोखिम में डालकर जंगल के अंदर काम कर रहा था। गंगाराम के जंगल में लापता होने की खबर सुनकर उसके परिवार में कोहराम मच गया।
वहीं गंगाराम के साथ जंगल में हुई घटना के बाद टाइगर रिजर्व प्रशासन भी सवालों के घेरे में आ गया है। हालांकि ग्रामीण की तलाश जारी है। अभी पीटीआर के जिम्मेदार घटना पर ही संदेह जता रहे हैं। यह भी स्पष्ट नहीं कर सके हैं कि जंगल में आखिर काम चल भी रहा था या नहीं?
श्रमिकों की मानें तो पीलीभीत टाइगर रिजर्व की माला रेंज में इन दिनों मजदूरों के माध्यम से सफाई कार्य कराया जा रहा है। कलीनगर तहसील क्षेत्र के गांव जमुनियां का गंगाराम भी गांव के अन्य साथियों के साथ पिछले दो दिन से लगातार जंगल में जाकर काम कर रहा था। रोजाना की तरह सोमवार सुबह आठ बजे भी गंगाराम के तीन अन्य साथियों के साथ जंगल में काम करने पहुंचा था।
जंगल में काम करने के दौरान ही गंगाराम को बाघ खींच ले गया। गंगाराम के साथ हुई घटना के बाद तमाम ग्रामीण लाठी-डंडे लेकर ट्र्रैक्टर ट्राली में सवार होकर जंगल में पहुंच गए। ग्रामीणों ने जान की परवाह न करते हुए घटनास्थल और उसके आसपास जंगल में गंगाराम की तलाश शुरू कर दी। बताते हैं कि करीब दो घंटे तक ग्रामीण वनकर्मियों की मदद से जंगल की खाक छानते रहे।
अंधेरा होने पर ग्रामीण जंगल से बाहर निकल आए। एक तरफ टाइगर रिजर्व प्रशासन ने जंगल में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश में पूरी तरह पाबंदी लगा रही है, वहीं 40-40 बाहरी मजदूरों को बिना मजदूरी एवं बिना सुरक्षा जंगल में काम करवाने पर टाइगर रिजर्व प्रशासन भी सवालों के घेरे में आ चुका है। टाइगर रिजर्व प्रशासन ने इतनी बड़ी संख्या में पीटीआर के कोर एरिया, जहां बाघों की लगातार आवाजाही रहती है, में बिना सुरक्षा मजदूरों से कैसे काम लिया जा रहा था।
घटना का पता लगने के बाद पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल भी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और जांच पड़ताल में जुट गए। टीमों को जंगल में ग्रामीण की तलाश के लिए लगा दिया गया। जहां हमले के वक्त भागकर आए अन्य श्रमिक वन विभाग द्वारा काम कराए जाने की बात कह रहे हैं। वहीं जिम्मेदारों ने फिलहाल इससे अभी इनकार किया है। घटना को ही कई सवाल खड़े करते हुए संदिग्ध करार दे दिया है।
बिना सुरक्षा के श्रमिकों को जंगल में छोड़ देने की बात तो दूर वन विभाग की ओर से काम कराए जाने की बात को ही अफसर नकार रहे हैं। यह बात दीगर है कि घंटों की छानबीन के बाद भी ये तय नहीं कर सके हैं कि अगर काम नहीं चल रहा था तो उक्त ग्रामीण जंगल के भीतर क्या करने चले गए थे?
तो वॉचर के बुलावे पर काम करने गए थे मजदूर
गंगाराम के साथ जंगल में काम करने गए मजदूर छोटे लाल ने बताया कि वे सभी वनकर्मी गोविंद के कहने पर ही जंगल में काम करने गए थे। बताते हैं कि गोविंद वॉचर के तौर पर पीटीआर में काम करता है। छोटेलाल ने बताया कि गोविंद द्वारा काम के बदले जलौनी लकड़ी देने की बात पर सभी जंगल में काम करने जाते थे। सुरक्षा के लिहाज से मौके पर कोई वनकर्मी भी मौजूद नहीं था।
पत्नी-बच्चों पर टूटी आफत, रो-रोकर बुरा हाल
गंगाराम की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण मेहनत मजदूरी कर परिवार को भरण पोषण करता आ रहा है। परिवार में पत्नी सरस्वती, पुत्री सजल (12), किंजल (11) और पुत्र लव (10) हैं। ग्रामीणों के मुताबिक गंगाराम के पिता सियाराम बीमारी के चलते दो दिनो से अस्पताल में भर्ती थे। सोमवार दोपहर ही घर पहुंचे थे। पुत्र के साथ हुई घटना के बाद से सियाराम गुमसुम है।
वहीं घर के गंगाराम के साथ जंगल में हुई घटना के बाद से पत्नी और बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है। पत्नी सरस्वती बार-बार भगवान से पति के सकुशल वापस आने की दुआ मांग रही थी। घटना के बाद से ही गंगाराम के घर के बाहर ग्रामीणों की खासी भीड़ जमा है। हर कोई परिवार के सदस्यों को ढांढस बंधाते देखा गया।
जंगल के भीतर जिस ग्रामीण के साथ घटना होने की बात कही जा रही है, वह अभी नहीं मिल सका है। उसकी तलाश के लिए टीमें कॉबिंग कर रही हैं। घटना को लेकर तस्वीर अभी पूरी तरह साफ नहीं है। यह भी स्पष्ठ नहीं है कि वहां कोई काम कराया जा रहा था। जंगल के इस इलाके में सफाई की कोई आवश्यकता ही नहीं है। मौका मुआयना किया गया है। ग्रामीण के साथ गए लोगों से भी बात की जाएगी। गहनता से जांच चल रही है। - नवीन खंडेलवाल, डिप्टी डायरेक्टर, पीटीआर
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