Video : NHM में तैनात ANM ने पैदल मार्च कर सुनाई अपनी पीड़ा, कहा - हमारे साथ हो रहा दुर्भावना पूर्ण व्यवहार

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लखनऊ, अमृत विचार। सहायक नर्स मिडवाइफरी (ANM) के रूप में भर्ती होने और नियमित तौर पर काम करने के बाद भी महज 10000 हजार ही वेतन के तौर पर मिल रहे हैं। यह कहना है एनएचएम में संविदा पर तैनात एएनएम का।

मंगलवार को परिवर्तन चौक पर उत्तर प्रदेश राज्य एनएचएम एएनएम कर्मचारी यूनियन के बैनर तले जुटीं दो दर्जन एएनएम संविदा कर्मियों ने स्वास्थ्य भवन तक पैदल मार्च कर अपनी मांग रखी है।

ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल आफ ट्रेड यूनियन (ऐक्टू) के प्रदेश अध्यक्ष विजय विद्रोही ने बताया कि एएनएम के रूप में भर्ती होने के बाद भी सभी संविदा पर तैनात एएनएम को एक निश्चित फ्लैट वेतन मिलता है। हालाँकि उनका काम नियमित तौर है।इसलिए यह सभी उचित वेतन की हकदार हैं। एएनएम के पद पर उनकी सेवाओं को नियमित न किया जाना और उनके संबंधित ज्वाइनिंग तिथियों से समान कार्य के लिए समान वेतन के सि‌द्धात के आधार पर उनके नियमित समकक्षों की तुलना में समान वेतन का भुगतान न करना अवैध, दुर्भावनापूर्ण है। उनको नियमित और स्थायी प्रकृति की नौकरी पर नियुक्त करना और उन्हें संविदा कर्मचारी के रूप में मानना तथा पारिश्रमिक का न्यूनतम वेतन के सि‌द्धात से भी कम भुगतान करना अन्यायपूर्ण है।

साथ ही भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 39 (डी) का उल्लंघन है और यह उनके श्रम का सरासर शोषण है। वे प्रारंभिक कार्यभार ग्रहण तिथि से एएनएम के पद पर नियमितीकरण की हकदार है और प्रबंधन को उन्हें समान वेतन के सिद्धांत पर वेतन के पूरे अंतर के साथ नियुक्ति की तिथि से अब तक भुगतान प्राप्त करने की हकदार है। यही नहीं किसी तरह की सामाजिक सुरक्षा भी प्रदत नहीं है। स्वास्थ्य और जीवन बीमा किसी कर्मचारी का बुनियादी हक है, जिससे आच्छादित करना तो दूर ईएसआई तक की न्यूनतम सुविधा नही प्रदान की जा रही है। इसी प्रकार अन्य प्रचलित सुविधाओं से भी वंचित रखा जा रहा है। 

ये हैं मांगे- 

1- प्रदेश की सभी संविदा एएनएम को स्थाई किया जाय। 

2 - स्थाई करण की प्रक्रिया के पूर्ण होने तक वर्ष 2016 के उच्चतम न्यायालय और 2023 के केंद्रीय ट्रिब्यूनल के आदेश के अनुरूप समान काम के समान वेतन का भुगतान स्थाई समकक्षी के बराबर किया जाय। तथा कार्य में नियोजन की तिथि से अब तक का उसी दर से एरियर अदा किया जाय।

3 -10 लाख का स्वास्थ्य बीमा और 50 लाख का जीवन बीमा गारंटी किया जाय।

4_  गृह जनपद में तैनाती और स्थानांतरण की सुविधा प्रदान की जाय।

5- उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुपालन के क्रम में जेंडर संसटाईजेशन कमेटी अर्गेस्ट सेक्सुअल हैरसमेंटका हर जिले में गठन किया जाय।

 6 - मातृत्व अवकाश, त्योहार, राष्ट्रीय छुट्टियों के साथ आकस्मिक, चिकित्सीय अवकाश तथा अर्जित वार्षिक अवकाश सुनिश्चित किए जाएं।

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