लखनऊ : इप्सेफ ने PM से मिलने का मांगा समय, कहा - कर्मचारियों की पीड़ा लोकसभा चुनाव में दिखाएगी असर

लखनऊ, अमृत विचार। इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ) ने चौथी बार प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कर्मचारियों की पीड़ा का निराकरण करने की गुहार लगाइ है। इप्सेफ ने प्रधानमंत्री के पास कर्मचारियों के लिए समय न होने पर दुख जताया है। इप्सेफ ने साफ कर दिया है कि प्रधानमंत्री और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री की तरफ से लगातार की जा रही अनदेखी का जवाब कर्मचारी लोकसभा चुनाव में जरूर देंगे।
इप्सेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्रा ने प्रधानमंत्री से पुनः गुहार लगाई है कि आप सब की पीड़ा तो दूर कर रहे हैं,लेकिन देश भर के करोड़ों कर्मचारियों की पीड़ा को सुनने के लिए आपके पास समय ही नहीं है। इप्सेफ की तरफ से कई बार ज्ञापन भेज कर आग्रह किया जा चुका है। जब आप ही नहीं सुनते हैं तो भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी नहीं सुनते हैं। ऐसे में कर्मचारियों की नाराजगी होने वाले लोकसभा चुनाव में भारी पड़ सकती है। इप्सेफ की मांग है कि एक देश एक वेतन सुविधा कर्मचारियों को मिले। इसके लिए कर्मचारियों की मांगों पर ध्यान देना जरूरी है।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में आंदोलन चल रहे हैं,लेकिन मुख्यमंत्री उनकी मांगों की अनसुनी कर रहे हैं। कोविड-19 की महामारी में कर्मचारियों ने अपनी जान पर खेल कर पूरा सहयोग दिया और दे रहे हैं। खासतौर से स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर नर्स पैरामेडिकल स्टाफ एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों का योगदान भुलाया नहीं जा सकता है। उनकी भी पीड़ा नहीं सुनी जा रही है। इप्सेफ ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि कर्मचारियों की पीड़ा को सुनाने के लिए समय प्रदान करें ।
ये हैं मांगे-
1- वेतन आयोग का गठन किया जाए
2- एनपीएस को समाप्त कर पुरानी पेंशन लागू की जाए
3- आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारियों की सेवाएं सुरक्षित करने के लिए नीति बनाई जाए
4- जिस पद पर कार्य करते हैं आउटसोर्सिंग कर्मचारी,उसका न्यूनतम वेतन के बराबर उन्हें पारिश्रमिक दिया जाए
5- सरकारी संस्थाओं का निजीकरण करने के बजाय उन्हें और मजबूत किया जाए।
6- स्थानीय निकायों सार्वजनिक निगमन के कर्मचारियों को घाटे के नाम पर उनके देयों का भुगतान न रोका जाए
7- उन्हें सातवें वेतन आयोग का पूरा लाभ दिया जाए।
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