Vinod upadhyay encounter : श्रीप्रकाश शुक्ला को माना था Roll model, वैसा ही हुआ अंत   

Vinod upadhyay encounter : श्रीप्रकाश शुक्ला को माना था Roll model, वैसा ही हुआ अंत   

लखनऊ/गोरखपुर/ सुल्तानपुर, अमृत विचार। कुख्यात अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ला यूपी में आतंक का पर्याय तो था ही, नई उम्र के उस दौर के युवाओं के लिए रोल मॉडल भी बन चुका था। ऐसे में विनोद उपाध्याय भी श्रीप्रकाश की तरफ आकर्षित हुए बिना नहीं रह सका। उसने न केवल उसे अपना रोल मॉडल माना बल्कि उसकी खूंखार प्रवृत्ति और रंगबाजी भरी लाइफस्टाइल को भी जीने लगा। कहा जाता है कि उस दौर में गोरखपुर तो छोड़िये आस-पास के जिलों में उपधिया का वर्चस्व कायम था। 

बताते चलें कि आज सुबह यूपी एसटीएफ ने कुख्यात शूटर विनोद उपाध्याय को एनकाउंटर में मार गिराया है। विनोद यूपी के टॉप 10 अपराधियों की लिस्ट में शामिल था और उसपर एक लाख रुपये का इनाम घोषित था। इसके पीछे गोरखपुर की क्राइम ब्रांच पुलिस भी लगी हुई थी। विनोद उपाध्‍याय का नाम साल 2004 में चर्चा में आया था। इस साल उसने गोरखपुर जेल में अपराधी जीतनारायण मिश्र को विवाद होने पर थप्पड़ मारा था। ठीक एक साल बाद 2005 में जब जीतनरायण रिहा हुआ तो विनोद उपाध्याय ने संत कबीर नगर में उसका मर्डर कर दिया। इस मर्डर से ही उसने अपराध की दुनिया में अपना कदम दाखिल किया। 

गोरखपुर समेत कई जिलों में कुख्यात विनोद उपाध्याय के ऊपर तकरीबन 35 मुक़दमे दर्ज हैं। लेकिन किसी भी मामले में उसे सजा हुई ही नहीं। साल 2023 में गुलरिहा थाने में रंगदारी और जालसाजी का मुकदमा दर्ज होने के बाद से वह फरार चल रहा था। बीते साल 2023 में एडीजी जोन ने उसके ऊपर एक लाख रुपये इनाम घोषित किया था। यूपी में कुछ महीने पहले जारी टॉप 10 अपराधियों में नाम शामिल होने के बाद से पुलिस और एसटीएफ विनोद उपाध्याय की तलाश में जुट गई। गोरखपुर, बस्ती, संतकबीरनगर, लखनऊ, गाजियाबाद जैसे शहरों में कई जगह उसे ढूंढा गया लेकिन पुलिस के हाथ खाली रहे।      
 
सुलतानपुर कोतवाली देहात क्षेत्र में शुक्रवार की भोर करीब साढ़े तीन बजे गोरखपुर का मोस्ट वांटेड विनोद उपाध्याय को एसटीएफ ने घेरकार एनकाउंटर में मार गिराया। विनोद ने पुलिस टीम पर कई राउंड फायरिंग की। जवाब ने एसटीएफ ने भी फायर किए। इसमें विनोद को गोली लग गई। एसटीएफ उसे अस्पताल लेकर आई। वहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। श्रीप्रकाश को रोल मॉडल मानने वाले विनोद उपाध्याय का अंत भी उसके जैसा ही हुआ। 
 
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