राममंदिर प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम : बलिदानी कारसेवक के परिवार को आमंत्रण का इंतजार
सुल्तानपुर, अमृत विचार। 90 के दशक में अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के लिए विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर देश के कोने-कोने से राम भक्त अयोध्या खेतों व पगडंडियों के सहारे पहुंचे थे। राम भक्तांे को कार सेवक का नाम दिया गया था। जहां सड़कों पर पुलिस का पहरा था, वहीं गावों में भी पुलिस की चौकसी थीं कि कोई भी राम भक्त अयोध्या न पहुंचने पाएं। बावजूद जोश से भरे राम भक्त दिन भर खलिहानों में छुपे रहते तो रात में पैदल पगडंडियों के सहारे अयोध्या के लिए निकल पड़ते थे। स्थानीय लोगों पुलिस से छुप कर खेतों में ही उनके खाने पीने की व्यव्स्था करती थी।
जिले से हजारों की संख्या में राम भक्त कार सेवा के लिए अयोध्या पहुंचे थे। उन्हीं राम भक्तों में जिले के जयसिंहपुर कोतवाली क्षेत्र के सरतेजपुर गांव निवासी राम बहादुर वर्मा भी अयोध्या पहुंचे थे। अयोध्या में विवादित स्थल पर कारसेवा के दौरान 30 अक्टूबर 1990 को राम बहादुर को गोली लग गई थी। 12 दिन अयोध्या में ही उनका इलाज चलता रहा। हालत गंभीर होने पर उन्हें यहां से लखनऊ रेफर कर दिया गया। इलाज के दौरान 3 जनवरी 1991 को उनकी मौत हो गई। गांव में ही उनकी समाधि बनी है। जो अब राम बहादुर धाम के नाम से जानी जाती है। भाजपा की सरकार बनते ही सरकार के कई मंत्री राम बहादुर धाम आ चुके हैं।
राम मंदिर निर्माण की तारीख घोषित होते ही राम बहादुर वर्मा के परिजनों में खुशी की लहर दौड़ गई थी। बलिदानत्री राम बहादुर वर्मा के बेटे काली सहाय वर्मा हर वर्ष 3 जनवरी को उनकी पुण्यतिथि मनाते हैं। जिसमें स्थानीय लोगों के साथ भाजपा के दिग्गज नेताओं का जमावड़ा लगा रहता है।
आमंत्रण न मिलने से परिजनों का छलका दर्द
राम बहादुर वर्मा की मौत से परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। जब राम मंदिर के निर्माण की तिथि आई तो परिजनों में खुशी की लहर दौड़ गई। परिजनों ने मान लिया कि राम बहादुर की मौत बेकार नहीं गई। लेकिन, जब राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा की तिथि घोषित हुई जिले में आमंत्रण पत्र दिया जाने लगा। वहीं, हमारे परिवार को अभी तक आमंत्रण पत्र न मिलने का दुख है। स्व राम बहादुर वर्मा के पुत्र काली सहाय वर्मा ने बताया कि अभी तक आमंत्रण पत्र नहीं मिला है। लेकिन अभी आमंत्रण पत्र की उम्मीद नहीं टूटी है।
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