अयोध्या: प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में 50 परम्पराओं के संतों समेत 13 अखाड़े बढ़ाएंगे शान, बनेंगे एतिहासिक घटना के साक्षी
अयोध्या। 22 जनवरी को अपराह्न होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट सभी तैयारियों को मूर्त रूप देने में लगा है। सोमवार को ट्रस्ट महासचिव चंपतराय ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर की जा रहीं तैयारियां साझा कीं। उन्होंने बताया कि आगामी 15 जनवरी तक ट्रस्ट की ओर से की जा रहीं सभी तैयारियां पूरी हो जाएगीं।
उन्होंने बताया कि समारोह में विभिन्न प्रदेशों के 150 परम्पराओं के साधु-संतों समेत 13 अखाड़े और छह दर्शन परम्परा के शंकराचार्य आदि शामिल होंगे। उन्होंने जानकारी दी कि करीब चार हजार संतों को आमंत्रित किया गया और इसके अलावा 2200 गृहस्थों को भी निमंत्रण दिया गया है। चंपत राय ने कहा कि काशी विश्वनाथ, वैष्णोदेवी जैसे प्रमुख मंदिरों के प्रमुखों, धार्मिक व संवैधानिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया है।
बताया कि विश्व विख्यात आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा, केरल की अम्मा, योग गुरू बाबा रामदेव समेत सिने स्टार रजनीकांत, अमिताभ बच्चन, माधुरी दीक्षित, अरुण गोविल, निर्देशक मधुर भंडारकर समेत प्रमुख उद्योगपतियों में अनिल अंबानी, मुकेश अंबानी, रतन टाटा के पुत्र, प्रख्यात चित्रकार वासुदेव कामत, इसरो निदेशक नीलेश देसाई समेत तमाम विशिष्ट हस्तियां समारोह की साझी होंगी।
महासचिव ने बताया कि अयोध्या के तीन से अधिक स्थानों पर अतिथियों के ठहरने के उचित प्रबंध किए गए हैं। इसके अलावा विभिन्न मठ-मंदिरों और गृहस्थ परिवारों की ओर से 600 कमरे उपलब्ध कराए गए हैं। बताया 25 दिसम्बर से तीन प्रमुख स्थानों पर भंडारा भी प्रारम्भ हो जाएगा।
नहीं आयेगें आडवाणी, जोशी, पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा को आमंत्रण
महासचिव ने बताया कि स्वास्थ्य और आयु कारणों से पूर्व गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी और वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी नहीं आ रहे। बताया कि दोनों परिवार के बुजुर्ग हैं और उनकी आयु देखते हुए न आने का निवेदन किया गया जिसे दोनों महानुभावों ने स्वीकार किया है। बताया पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा को आमंत्रित करने के लिए तीन सदस्यों की समिति बनी है।
16 जनवरी से प्रारम्भ हो जाएगा प्राण प्रतिष्ठा का पूजन
ट्रस्ट महासचिव ने बताया कि 16 जनवरी से प्राण प्रतिष्ठा के लिए पूजन प्रारम्भ होगा। यह 22 जनवरी प्राण प्रतिष्ठा तक चलेगा। उसके बाद 24 से 48 दिनों का उत्तर भारत की परम्परा के अनुसार मंडल पूजन होगा। 23 जनवरी से आमजन रामलला के दर्शन कर सकेगें। बताया कि वर्तमान में जहां भगवान विराजमान हैं वहां दर्शन पूजन बंद करने पर विचार चल रहा है। ताकि भीतरी कार्य अतिशीघ्र पूरे हो सकें।
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