कानपुर: गुरु तेग बहादुर के शहीदी पर्व पर दिखा आस्था और सेवा का संगम, कीर्तन सुन निहाल हुए भक्त

कानपुर। श्री गुरु तेग बहादुर साहब का शहीदी पर्व पर रविवार को मोतीझील में मनाया गया। पर्व में आस्था और सेवा का संगम रहा। समारोह में शबद, कीर्तन के बीच गुरुवाणी सुन भक्त निहाल हुए। इस दौरान हुए लंगर में लगभग 3 लाख से अधिक भक्तों ने प्रसादी छकी। श्री गुरु सिंह सभा कानपुर महानगर की ओर से दंगों का मुआवजा जल्द दिलाए जाने का भी आह्वान किया गया। उधर श्री हुजूर साहब के जत्थेदार के हुक्म का पालन किए जाने का भी संकल्प लिया गया।
पर्व की शुरुआत सुखमनी साहिब सेवा सोसाइटी ने नितनेम के पाठ से की। इसके बाद भाई प्रतिपाल सिंह और भाई हरदीप सिंह ने ‘आसा दी वार’ का कीर्तन किया। भाई नरिंदर सिंह ने गुरमत विचार रखें। बहन कुलजीत कौर मदान ने कीर्तन किया। भाई डॉ. दलबीर सिंह ने शबद कीर्तन से संगत को निहाल कर दिया।
कार्यक्रम में भाई सज्जन सिंह, भाई भुपिंदर सिंह, भाई बलविंदर सिंह 'रंगीला' चंडीगढ़ वाले, भाई मेहताब सिंह श्री अमृतसर वाले और भाई कृपा सिंह ने शबद कीर्तन कर संगत को निहाल किया। इसके बाद सुबह के दीवान का अरदास के साथ समापन हुआ। शाम के दीवान में भाई नरिंदरपाल सिंह ने श्री रहिरास साहिब का पाठ किया। जसबीर कौर, बलजीत कौर 'मीनू', भाई जसप्रीत सिंह, भाई आतमजीत सिंह और भाई मेहताब सिंह श्री अमृतसर वाले और भाई बलविन्दर सिंह 'रंगीला ने शबद कीर्तन कर संगत को निहाल किया।
गुरु के सुनाएं प्रसंग
शहीदी पर्व पर गुरु तेग बहादुर साहिब से जुड़े प्रसंग भी सुनाए गए। यह प्रसंग श्री अकालतख्त साहिब के हेड ग्रंथी ज्ञानी मलकियत सिंह ने प्रस्तुत किए। उन्होंने संगत को नियमों से चलने की प्रेरणा भी दी। 'तेग बहादुर के चलत भयो जगत को सोक, है है है सब जग भैया जै जै जै सुर लोक' और 'अव्वल अल्लाह नूर उपाया, कुदरत के सब बंदे, एक नूर ते सब जग उपजिया, कौन भले को मंद'। जैसे शबद से माहौल भव्य हो गया।
वाहे गुरु प्रसादी
शहीदी पर्व पर लगभग तीन लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने लंगर छका। लंगर के लिए संगत दिन भर आती रही। इस बार लंगर में श्री गुरु सिंह सभा महानगर की ओर से किसी तरह की वीआईपी व्यवस्था नहीं की गई थी। एक ही संगत व पंगत में बैठकर सभी भक्तों ने लंगर छका । लंगर स्थल पर किसी तरह की बेरिकेडिंग नहीं की गई थी। इससे लंगर के लिए किसी को पंक्तियों में नहीं खड़ा होना पड़ा।
घरों में भी पहुंची प्रसादी
भक्तों की ओर से लंगर से प्रसादी घर भी ले जाई गई। यह प्रसादी बुजुर्ग, मरीजों और बच्चों के लिए रही। घर जाने वाली प्रसादी के लिए पैकिंग की व्यवस्था रही। इसमें
सेवादारों का हुआ सम्मान
कार्यक्रम में तीन दिनों तक विभिन्न सेवा करने वालों को सम्मानित भी किया गया। सेवा करने वाले जत्थों को सिरोपा भेंट किया गया। अन्य को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान मुख्य रूप से प्रधान सिमरन जीत सिंह, प्रिंस वासु, तजिंदर पाल सिंह, गुरविंदर सिंह भाटिया, सुखप्रीत सिंह बंटी, मनजीत सिंह चड्डा, सुरेंद्र सिंह रूहानी, जगतार सिंह, गुरमीत सिंह पाहूजा, सिमर सिंह और अमरीक सिंह आदि मौजूद रहे।
सीएम से मिलेगी सभा
श्री गुरु सिंह सभा कानपुर महानगर के चेयरमैन सरदार कुलदीप सिंह ने कई प्रस्ताव भी पारित किए। इस दौरान उन्होंने कहा कि सिख दंगा पीड़ितों को मुआवजा दिलाने का प्रयास जारी है। उच्च न्यायालय में अवमानना वाद के साथ शासन स्तर पर संवाद किए जा रहे हैं। सरकार ने भी इस पर सकारात्मक रुख रखते हुए वार्ता की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सभा भेंट कर उनसे इसके शीघ्र निस्तारण के लिए आग्रह करेगी।
शोध केंद्र के लिए प्रस्ताव
सीएसजेएमयू में श्री गुरु तेग बहादुर जी पर शोध केंद्र खोले जाने के लिए धन्यवाद प्रस्ताव भी पारित किया गया। यह धन्यवाद प्रस्ताव विश्वविद्यालय के कुलपति के लिए रहा। सभी को बताया गया कि छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय में श्री गुरु तेग बहादुर शोध पीठ की स्थापना का रास्ता साफ हो गया है।
शादियों में रुके फिजूल खर्च
कार्यक्रम में श्री गुरु सिंह सभा कानपुर महानगर तख्त श्री हजूर साहिब (नांदेड़) के जत्थेदार कुलवंत सिंह के जारी हुक्म का सम्मान भी किया गया। यह संदेश दिया गया कि तख्त साहब ने हुक्म दिया है कि शादियों में फिजूल खर्ची को रोका जाए। इसके अलावा आनंद कारज के दौरान दुल्हन के भारी भरकम लहंगे और आधुनिक फैशन वाले कपड़ों के बजाए सादे व शालीनता वाले कपड़े पहनने की अपील की गई।
लावां फेरे के दौरान दुल्हन के सलवार-कमीज व सिर पर चुन्नी डालने की भी अपील की गई। इसके अलावा दुल्हन को चुनरी व फूलों की छांव में न लाएं जाने की भी अपील की गई। उधर आमंत्रण पत्र पर दुल्हन के नाम के बाद कौर और दुल्हा के नाम के बाद सिंह लिखने के लिए कहा गया।
विद्यालयों में हों नियुक्तियां
एक अन्य प्रस्ताव में सभा की ओर से सरकार से अल्पसंख्यक विद्यालयों में नियुक्तियां की जाने की भी मांग की गई। कहा गया कि अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में नियुक्तियों पर लगी रोक को तत्काल हटाया जाए। इससे विद्यालयों में शिक्षण कार्य बेहतर तरह से हो सकेगा। यह भी बताया गया कि 2017 से विद्यालयों में नियुक्तियां बंद है। इससे बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है।
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