मुरादाबाद : सुरक्षित नहीं है परिवहन निगम की बसों में यात्रा, जानिए क्यों?

बिना स्वास्थ्य और नेत्र परीक्षण के बस दौड़ा रहे चालक-परिचालक, कर्मचारियों की जांच नहीं हो सकी

मुरादाबाद : सुरक्षित नहीं है परिवहन निगम की बसों में यात्रा, जानिए क्यों?

मुरादाबाद, अमृत विचार। भरोसेमंद यात्रा और सुरक्षित सफर का आपका अपना साथी राज्य परिवहन निगम की सेवा का ध्येय वाक्य जरूर है। लेकिन, इसमें गारंटी की बात बेमानी जैसी है। सुरक्षित सेवा के मुख्य सदस्य चालक और परिचालकों के स्वास्थ्य की जांच की रिपोर्ट इस बात की आशंका को बल दे रही है। मुरादाबाद डिपो के कर्मचारियों की आंख और सेहत जांच का विवरण इस बात को प्रमाणित कर रहा है। ऐसे में दनकौर क्षेत्र के बस हादसे की चर्चा स्वाभाविक है क्योंकि, यहां भी सभी कर्मचारियों के हेल्थ कार्ड नहीं बन पाए हैं।

अगर तीन अक्टूबर के मुरादाबाद डिपो के नेत्र एवं स्वास्थ्य जांच की चर्चा करें तो बहुत कुछ स्थिति समझ में आ जाएगी। डिपो में परिचालन से 176 कर्मचारी सीधे जुड़े हैं। 54 चालक परिवहन निगम के हैं और बाकी संविदा और अनुबंध की सेवा शर्त से जुड़े हैं। बाकी में चालक-परिचालक सभी शामिल हैं। उन दिनों मंडल मुख्यालय के वीआईपी बस अड्डा डिपो परिसर के शिविर में कुल 25 कर्मचारियों की ही सेहत की जांच हो सकी। बाकी चालक और परिचालक बिना रूटीन जांच के ड्यूटी कर रहे हैं। हेल्थ कार्ड के मुद्दे पर प्रबंधन का बयान गोल-मोल ही है। बस संचालन में चालकों के नेत्र, हृदय, बीपी और शुगर की जांच अनिवार्य है। 

शर्त तो स्टेयरिंग सेवा (बस चलाने वाली की ड्यूटी) यानी कि बस चालक की कुल ड्यूटी छह घंटे ही है। लंबी दूरी की सेवा के लिए दो चालकों के भेजे जाने की अनिवार्य शर्त है, ऐसा इसलिए कि बसों का संचालन सुरक्षित हो। लेकिन बुलंदशहर डिपो के चालक से हुई दुर्घटना के बाद लोग रोडवेज की सेवा पर प्रतिक्रिया देने लगे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता विजयनगर की निवासी रंजीत कौर, लाइनपार के शिक्षित युवा राहुल यादव रोडवेज बसों के मॉडल कंडीशन और कर्मचारियों की फिटनेस के मुद्दे पर रोडवेज प्रबंधन को सवालों से घेरते हैं।

खास बातें
  • मंडल में कुल डिपो-      आठ
  • कुल बसें -                   696
  • निगम की-                   411
  • चालक ड्यूटी अवधि -  छह घंटे


त्रिनेत्र की मदद से होगी यात्री सुरक्षा
प्रदेश की पुलिस द्वारा तैयार डाटाबेस रेल यात्रियों के सुखद और सुरक्षित यात्रा का आधार बनेगा। त्रिनेत्र ऐप में पुलिस के पास विभिन्न स्तर पर एकत्र सूचनाओं का संपूर्ण विवरण है। अपराध में संलिप्त, जेल में बंद और पुलिस को छकाने वाले बदमाशों का विवरण इस ऐप में है जिसकी मदद से पुलिस रेल यात्रियों की सुरक्षा और कानून व्यवस्था का प्रभावी अनुश्रवण कर सकेगी। त्रिनेत्र ऐप में पुलिस के पास राज्य में क्रियाशील पांच लाख से अधिक अपराधियों, दोषसिद्धों और दुराचारियों का डेटा बैंक है। जिसके साथ आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, फेस रिकग्निशन और एक होस्ट जैसी तकनीकी खूबियों की सुविधा उपलब्ध है।

इस डेटाबेस को राज्य की पुलिस, जेल विभाग और रेल सुरक्षा करने वाली राजकीय रेलवे पुलिस के रिकॉर्ड्स को समायोजित किया गया है। इस ऐप के विवरण से रेलवे पुलिस यात्री सुरक्षा का खाका और मजबूत करेगी।  विभागीय जानकारों की मानें तो रेलवे प्रबंधन ने आरपीएफ और रेलवे पुलिस को ठंड के मौसम में यात्री सुरक्षा को लेकर विशेष रूप से सतर्क किया है। गणतंत्र दिवस पर सतर्कता को लेकर भी सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुख कई स्तर के सुरक्षा प्लान पर कार्य करा रहे हैं। पता चला है कि गाजियाबाद से आलमबाग के बीच फैले मंडल के रेल परिक्षेत्र की संवदेनशीलता से रेल प्रबंधन अलर्ट बताया जा रहा है। मुरादाबाद अनुभाग में फरार मुख्य रूप से तीन इनामी बदमाशों को लेकर रेलवे पुलिस भागदौड़ कर रही है।

आरपीएफ जवान बाॅडी वार्म कैमरे से लैस  
आरपीएफ के जवान आरोपियों को गिरफ्तार करने के साथ उनकी गतिविधि भी बॉडी वार्म कैमरे में कैद करेंगे। आरपीएफ मुख्यालय से रेल मंडल को 10 बाडी वार्म कैमरे मिले हैं। ट्रेन और यात्री सुरक्षा में आरपीएफ के जवान अब एक साथ दो काम करेंगे। मंडल मुख्यालय से होकर चलने वाली लखनऊ मेल, राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस, नंदादेवी एक्सप्रेस में तैनात आरपीएफ जवानों को कैमरा उपलब्ध कराया गया है।  

यात्री सुरक्षा के लिए राजकीय रेलवे पुलिस और रेलवे सुरक्षा बल ने संयुक्त योजना पर कार्य शुरू किया है। आन ड्यूटी सभी जवानों को त्रिनेत्र ऐप ग्रुप में रखा गया है। यह ग्रुप से ड्यूटी और ट्रेनों में संदिग्ध की पहचान में मददगार साबित हो रहा है। ऐप के विवरण किसी आरोपी की आसानी से पहचान कर लेने में सक्षम है। इस ऐप में जेल गए, अपराध किए और वांछित का पूरा विवरण है। हुलिया देखकर टीम समाज विरोधी कार्य करने वालों की धरपकड़ आसानी से कर सकेगी। - आशुतोष शुक्ल, एसपी जीआरपी

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