पीलीभीत : जंगल के बाहर कई बाघ, पकड़ना किसे है, असमंजस में वन विभाग..अनुमति के बाद संशय!

पीलीभीत, अमृत विचार। कलीनगर क्षेत्र में पिपरिया संतोष गांव के आसपास घूम रहे बाघ को पकड़ने की अनुमति मिले तो सप्ताह भर से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन बाघ को अभी तक नहीं पकड़ा गया है। ग्रामीण किसी अनहोनी की आशंका के डरे हुए है। हालांकि बुधवार को बाघ सपहा गांव के समीप डेरा जमाए देखा गया।
जनपद का कलीनगर तहसील क्षेत्र इन दिनों गन्ना बाघ की शरणस्थली बना हुआ है। क्षेत्र के पिपरिया संतोष, डगा, कलीनगर, जमुनिया, मथना आदि में बाघों और उनके शावकों का मूवमेंट लगातार देखा जा रहा है। पिछले चार महीने में बाघ हमलों में नजर दौड़ाए तो इसमें 16 अगस्त रानीगंज निवासी राममूर्ति, 21 सितंबर को माला कॉलोनी निवासी रघुनाथ, 26 सितंबर को जमुनिया निवासी सीताराम और 11 नवंबर को जमुनिया खास निवासी ओमप्रकाश बाघ हमले में अपनी जान गंवा चुके हैं।
एक के एक बाद हो रहे लगातार बाघ हमलों से ग्रामीण आक्रोशित हो उठे थे। इसी बीच 17 अक्टूबर को जमुनिया क्षेत्र में एक बाघिन को रेस्क्यू कर जंगल छोड़ा गया। बाघिन के पकड़े जाने के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली थी, मगर यह राहत ज्यादा दिन तक नहीं टिक सकी।
दो दिन बाद ही क्षेत्र में अन्य बाघ देखे जाने से हड़कंप मच गया। ग्रामीणों की माने तो यहां तीन बाघ और उनके शावकों का लंबे अरसे से मूवमेंट देखा जा रहा है। इधर पिपरिया संतोष गांव के आसपास भी पिछले दो माह से बाघ का मूवमेंट देखा जा रहा था। लगातार बाघों के मूवमेंट देखे जाने के बाद इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को दी। करीब सप्ताह पहले शासन ने पिपरिया संतोष के आसपास घूम रहे बाघ को पकड़ने की अनुमति भी दे दी थी।
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