बरेली: तीन दिन में चार बच्चों की मौत के बाद भी कहते हैं आंकड़े, महिला अस्पताल में सुधर गया संस्थागत प्रसव का ग्राफ

बरेली, अमृत विचार। जननी सुरक्षा योजना के तहत मातृ और शिशु मृत्युदर कम करने के लिए संस्थागत प्रसव पर जोर दिया जा रहा है। जिला महिला अस्पताल में तीन दिन में चार बच्चों की मौत हो चुकी है। जबकि विभागीय आंकड़ों के अनुसार शासन की सख्ती के बाद पिछले दो महीने में अस्पताल में संस्थागत प्रसव का ग्राफ सुधर गया है और इस दौरान करीब एक हजार संस्थागत प्रसव हुए हैं।
जिला महिला अस्पताल हायर सेंटर है। यहां शहर और देहात से मरीजों के प्रसव होते हैं। अप्रैल में अस्पताल को 449 प्रसव का लक्ष्य दिया गया था, जिसके सापेक्ष सिर्फ 193 प्रसव हो पाए। जिस पर शासन ने प्रसव बढ़ाने का आदेश दिया। जिसके बाद अब स्थिति में सुधार हुआ है। अक्टूबर में जिला महिला अस्पताल में 519 प्रसव हुए हैं जिसमें 390 सामान्य और 134 सिजेरियन हैं। वहीं नवंबर में 471 प्रसव हुए हैं जिसमें 337 सामान्य और 134 सिजेरियन हैं।
जन्म के एक घंटे बाद ही नवजात को स्तनपान
मां का पहला दूध बच्चे के लिए अमृत से कम नहीं माना जाता है। नियमित स्तनपान कराने से जच्चा और बच्चा दोनों की सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसको ध्यान में रखते हुए जिला महिला अस्पताल में जन्म के एक घंटे के बाद ही नवजात को स्तनपान कराया जा रहा है। पिछले दो महीने में अस्पताल में जन्मे 665 बच्चों को एक घंटे के अंतर पर स्तनपान कराया गया।
मौतों के लिए परिजनों को ही बताया जिम्मेदार
जिला महिला अस्पताल में पिछले दो दिनों में चार बच्चों की मौत हाे चुकी है। इसमें मंगलवार को एक परिवार के लोगों ने जमकर हंगामा भी किया था। हालांकि डॉक्टरों ने इन बच्चों की मौत के लिए परिजनों को ही जिम्मेदार बताया है। किसी में खानपान सही न होने से गर्भवतियों के एनीमिक होने और एक में बच्चे को हायर सेंटर न ले जाने की बात कही है।
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