बिहार में आरक्षण वृद्धि के खिलाफ अदालत में याचिका दायर, जदयू को संदेह- इसके पीछे है भाजपा

बिहार में आरक्षण वृद्धि के खिलाफ अदालत में याचिका दायर, जदयू को संदेह- इसके पीछे है भाजपा

पटना। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह "ललन" ने सोमवार को आरोप लगाया कि सामाजिक रूप से वंचित जातियों के लिए आरक्षण में हालिया बढ़ोतरी के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में दायर की गयी याचिका के पीछे उन्हें "भाजपा का हाथ" दिखता है।

ललन ने इस खबर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए यह बयान दिया है कि पिछले सप्ताह पटना उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई थी और उस पर उचित समय पर सुनवाई होगी। उन्होंने आरोप लगाया, "भारतीय जनता पार्टी, आरक्षण विरोधी पार्टी है। भाजपा को आरक्षण पसंद नहीं है।बिहार में जाति आधारित गणना हुई, जिसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में आरक्षण की सीमा को जरूरत के अनुसार बढ़ाया गया।"

उन्होंने आरोप लगाया, " भाजपा ने अपने समर्थकों को स्थानीय निकाय चुनावों में अत्यंत पिछड़े वर्गों के आरक्षण को अदालत में चुनौती देने के लिए प्रेरित किया था। लेकिन वह विफल रही और नगरपालिका चुनाव ईबीसी के लिए आरक्षित सीटों के साथ कराए गए।"

ललन ने कहा, "जब नीतीश कुमार सरकार के आदेश पर जातिगत सर्वेक्षण शुरू किया गया तो भाजपा फिर से सक्रिय हो गई। जब उसके समर्थकों द्वारा दायर की गयी याचिकाएं गुण-दोष के आधार पर नहीं टिक सकीं, तो केंद्र ने हस्तक्षेप किया और शीर्ष अदालत में भारत के सॉलिसिटर जनरल ने सर्वेक्षण का विरोध किया।"

जदयू प्रमुख ने विश्वास व्यक्त किया कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत कोटा सहित आरक्षित सीटों की मात्रा बढ़ाकर 75 प्रतिशत करने के हाल ही में पारित कानूनों को अदालत द्वारा बरकरार रखा जाएगा। दिलचस्प बात यह है कि वरिष्ठ भाजपा नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने एक बयान जारी कर आरोप लगाया कि कोटा में बढ़ोतरी के खिलाफ जनहित याचिका "हमारी पार्टी को बदनाम करने के लिए राज्य में सत्तारूढ़ महागठबंधन के इशारे पर दायर की गई है।"

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