बरेली: खाते में बजट भरपूर पर सड़कें अब भी अधूरी, पीडब्ल्यूडी को जिले की 22 सड़कों को विशेष मरम्मत करके कराना था गड्ढामुक्त
अब तक केवल नौ सड़कों का काम पूरा हुआ, 33 करोड़ के सापेक्ष 19 करोड़ रुपये बजट हुआ खर्च

बरेली, अमृत विचार : जिले की बदहाल सड़कों के लिए सरकार से बजट मिलने के बाद भी निर्माण नहीं होने से करीब तीन लाख से अधिक लोग जोखिम भरा सफर कर रहे हैं। लोक निर्माण विभाग के अफसरों की लापरवाही का आलम यह है कि खाते में भरपूर बजट होने के बाद भी काम में तेजी नहीं आई।
विभाग से मिले आकड़ों के मुताबिक जिले की 22 सड़कों के 90.38 किलोमीटर हिस्से को विशेष मरम्मत करके गड्ढामुक्त करना था। दावा है कि इसमें आठ सड़कों का निर्माण पूरा हो चुका है और बाकी सड़कों पर काम होना बाकी है। अब तक 35.39 किमी सड़क ठीक की गई। इधर, बजट आवंटन की बात करें तो 33.26 करोड़ रुपये में 19 करोड़ ही खर्च हुए हैं। अधिकारियों का कहना है कि कई कारणों से काम रुके हुए थे। दिसंबर तक लगभग सभी सड़कें दुरुस्त हो जाएंगी।
बजट मिलने के बाद भी यह सड़कें हैं बदहाल: बजट आवंटित होने के बावजूद 13 किलोमीटर लंबे बरा-बरौर मार्ग पर काम पूरा नहीं हो सका। 16 मार्च को 1.55 करोड़ की लागत से सड़क बनाने का प्रस्ताव मंजूर हुआ था। काम 11 सितंबर तक काम पूरा होना था। अब तक सिर्फ 90 मीटर हिस्से में काम कराया जा सका।
इसी तरह सीबीगंज-जोगीठेर मार्ग पर पुलिया के स्थान को लेकर दो पक्षों में विवाद की वजह से काम रुका है। यह काम 12 अप्रैल 2023 तक पूरा होना था। राजघाट-सनेकपुर-त्रिकुनिया मार्ग का निर्माण 2.21 करोड़ रुपये का बजट मिलने के बाद भी 70 फीसदी अधूरा है। इसे 11 सितंबर तक पूरा किया जाना था। फरीदपुर-भुता, बरेली-नदेली भुड़िया कालोनी मार्ग, नवाबगंज-बीमामऊ- कैमुआ मार्ग, फरीदपुर-बुखारा मार्ग, बीरपुर-भदपुरा, नकटी नारायनपुर में भी काम अधूरे हैं।
एस्टीमेट चार बार बने, सड़क एक बार भी नहीं बनी: विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक धौरा से तजुआ तक की ढाई किलोमीटर लंबी सड़क वर्ष 2019 से टूटी पड़ी है। चार बार एस्टीमेट बने। मंजूरी के लिए मुख्य अभियंता तक प्रस्ताव भेजे गए लेकिन एक बार भी निर्माण नहीं किया गया। न गड्ढे भरे गए। इस मार्ग पर कई राइस मिल हैं। दस हजार से अधिक लोगों को आवागमन में परेशानी हो रही है।