रुद्रपुर: नशे से कई घरों के बुझ चुके हैं चिराग, अब भी हरे हैं जख्म

रुद्रपुर: नशे से कई घरों के बुझ चुके हैं चिराग, अब भी हरे हैं जख्म

रुद्रपुर, अमृत विचार। नशा माफियाओं का गढ़ बन चुके आदर्श इंदिरा बंगाली कॉलोनी में नशे की लत ने कई घरों के चिराग बुझा डाले तो कई युवा इसकी चपेट में आकर मौत के मुहाने पर खड़े हैं। जिन घरों के चिराग बुझ चुके हैं। उनकी माओं ने रो-रोकर अपने बेटों की मौत की दास्तां बयां की और पुलिस प्रशासन और नशा माफियाओं को इसका जिम्मेदार ठहराया।

हालांकि अभिभावकों ने अपने बेटो को सुधारने का काफी प्रयास किया। मगर नशा माफियाओं के बिछाए जाल में फंस आखिरकार कई युवाओं ने आत्महत्या कर मौत को गले लगा लिया, कुछ नशे की पूर्ति नहीं होने के कारण खुद ही जान गवा चुके हैं।

बताते चलें कि आदर्श इंदिरा बंगाली कॉलोनी में 12 नवंबर की रात को जब नशे के लती राजू वर्मन के आत्महत्या किए जाने के बाद से वहां की महिलाओं ने नशे को जड़ से खत्म करने का संकल्प लिया और जमकर हंगामा काटा। विधायक शिव अरोरा के हस्तक्षेप के बाद पुलिस और आबकारी विभाग जागा और ताबड़तोड़ कार्रवाई की। सवाल यह उठता है कि यदि प्रशासन यही सजगता पहले दिखाता तो शायद एक साल के अंदर सात युवा मौत को गले नहीं लगाते।

पीड़ित परिवार का कहना था कि उनके बेटों के अलावा एक साल के अंदर सात युवक या तो मौत को गले लगा चुके हैं या फिर खुद स्मैक व शराब से बिगड़े स्वास्थ्य के कारण युवावस्था में ही उनकी मौत हो चुकी है। इसके अलावा नशे का अड्डा बन चुकी आदर्श इंदिरा बंगाली कॉलोनी में ज्यादातर युवा पीढ़ी नशे की चपेट में आ चुके हैं और मौत के मुहाने पर खड़े हैं। समय रहते नशा माफियाओं पर लगाम नहीं कसी गई तो आने वाले कुछ सालों में कॉलोनी का हर युवा नशेड़ी बन चुका होगा और मौत का ग्राफ भी बढ़ सकता है। 

केस-एक

पांच हजार रुपये नहीं दिये तो मौत को गले लगाया

11 नवंबर की शाम को ऑटो चालक सुबोध मंडल के 20 वर्षीय बेटे सुभाष मंडल ने पांच हजार रुपये की मांग की। जब पिता ने इंकार कर दिया तो उसने अपनी मां अर्चना मंडल से पैसे मांगे। अर्चना मंडल का कहना था कि उसका बेटा परिवार से बहुत प्यार करता था। मगर दोस्तों की संगत ने उसे नशा करना सिखाया और वार्ड में गली गली नशा बिकने के कारण उसका बेटा नशे से दूर नहीं हो पाया और 12 नवंबर की सुबह उसका शव पंखे पर लटका हुआ मिला। इकलौता बेटा होने के कारण अर्चना की आंखे से आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे है और पिता सुबोध मंडल को भी अफसोस सता रहा है कि अगर कहीं से उधार लेकर वह बेटे को पैसे दे देता तो शायद वह आज जिंदा होता।

 

केस-दो

100 रुपए नहीं दिए तो लगा ली फांसी

20 वर्षीय मृतक युवक राजू वर्मन की मां प्रियंका बर्मन ने भी भावुक होकर बताया कि वर्ष 2020 से पहले उसका बेटा राजू वर्मन कोई नशा नहीं करता था। मगर लॉकडाउन समाप्ति के बाद वार्ड में धड़ल्ले से नशा बिकने के कारण वह स्मैक व शराब का लती हो गया। दो साल पहले उसकी शादी भी करवाई कि शायद परिवार की जिम्मेदारी नशा छुड़वा देगी। कई बार नशा मुक्ति केंद्र भी भेजा। बावजूद घर के सामने ही नशा माफियाओं ने पुन:स्मैक मुहैया करवा दी। प्रियंका ने बताया कि वह उस दिन को कभी नहीं भुला सकती, जब बेटे का नशा छुड़ाने के लिए उसे बांधकर कमरे में बंद किया और स्मैक नहीं मिलने के कारण उसकी तड़प नहीं देखी गई। वह मंजर आज भी उसके जेहन में बस चुका है। बताया कि 12 नवंबर की सुबह नशा करने के लिए उसने 100 रुपया मांगा और जब इंकार कर दिया। तो उसने घर से कुछ ही दूरी पर लगे पेड़ में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली।

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