चित्रकूट के गधा मेले में बिकने आए 'शाहरुख', 'सलमान' और 'ऋतिक' 40 हजार में ही बिक गई कैटरीना
तीर्थक्षेत्र के मप्र इलाके में हर साल लगता है गधा मेला

विकास श्रीवास्तव, चित्रकूट, अमृत विचार। तीर्थक्षेत्र में दीपावली के दूसरे दिन से ऐतिहासिक गधा मेला लग गया। आम तौर पर दो दिन चलने वाले इस मेला भैया दूज बुधवार को होने की वजह से इस बार तीन दिन लगाया जाएगा। यहां खरीदार अच्छे जानवरों की लाख रुपये तक कीमत लगा देते हैं। इस वर्ष 'कैटरीना' 40 हजार में ही बिक गई। दो लाख की कीमत वाले 'सलमान', 70 हजार की कीमत वाले 'ऋतिक' और पचास हजार की कीमत वाले 'शाहरुख' भी बाजार में बिकने आए।
मेला में आने वाले बजुर्ग और स्थानीय लोग इस मेले की शुरुआत की बड़ी दिलचस्प कहानी बयां करते हैं। ये बताते हैं कि इस मेले की शुरुआत मुगल बादशाह औरंगजेब द्वारा की गई थी। यहां आकर बालाजी मंदिर में लूटपाट के बाद मुगल शासक की सेना के खच्चर और गधे अचानक किसी बीमारी से दम तोड़ने लगे। इससे हथियार ढोने वाले मवेशियों की कमी होने लगी।
— amrit vichar (@amritvicharlko) November 14, 2023
ऐसे में किसी ने उसे सलाह दी कि वह बालाजी मंदिर में गलती का प्रायश्चित्त करे और यहां गधों-खच्चरों की खरीदफरोख्त के लिए मेला लगवाए और उनसे अच्छी नस्ल के ये मवेशी खरीद ले। मुगल बादशाह को यह सलाह जंच गई और उसने ऐसा ही किया। माना जाता है कि तब मवेशी बिक्री को आए लोगों को यहां से अच्छी खासी आमदनी हुई और फिर मेला हर बार लगने लगा।
पीढ़ी दर पीढ़ी आते हैं लोग
गधा व्यापारी सुखरान देवी ने बताया कि पहले बाप दादा यहां पशु लेकर आते थे और वे लोग कई साल से आ रहे हैं। बताया कि मेले में लाखों में व्यवसाय होता है पर समस्याएं बहुत हैं। बताया कि 600 रुपये तक वसूल किए जाते हैं पर शौचालय आदि की भी व्यवस्था नहीं की जाती।
सुविधाओं का होता जा रहा अभाव
मप्र इलाके में पड़ने की वजह से लगभग एक एकड़ के मेला परिसर के रखरखाव की जिम्मेदारी नगर पंचायत चित्रकूट की है। हर साल अच्छा खासा राजस्व मेले से आने के बाद भी यहां पर सुविधाओं की कमी से मवेशीपालक और खरीदार हर बार असंतुष्ट नजर आते हैं। नयागांव अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में मंदाकिनी नदी के किनारे गंदगी के बीच लगने वाले इस मेले में न तो स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था है और न छाया आदि की व्यवस्था की। सुरक्षा के नाम पर होमगार्ड तक के जवान नहीं लगाए जाते।
ठेकेदारों और बिचौलियों की पौबारह
बिक्री को आए पशुपालकों की मानें तो उनसे रजिस्ट्रेशन के नाम पर निर्धारित दर से ज्यादा की वसूली की जाती है। वहां घूमे वाले ठेकेदार बिचौलिये गधा-खच्चर बिकने पर भी पांच सौ से लेकर हजार रुपये तक व्यापारियों से पैसा जबरन ले लेते हैं। इन्हीं दिक्कतों की वजह से धीरे-धीरे यहां पशु व्यापारियों का आना कम हो रहा है। बताया कि मेले में ठेकेदार द्वारा 30 रुपये प्रति खूंटा जानवर बांधने का लिया जाता है एवं 600 रुपये प्रति जानवर बिक्री का। पंचायत द्वारा अस्थायी शौचालय नहीं बनवाए जाते हैं।
फिल्मी सितारों के नाम पर ऱखते हैं नाम
कई व्यापारी गधों के नाम भी फिल्मी सितारों के नाम रखते हैं। हर बार मेले में शाहरुख, सलमान, सैफ, कैटरीना, जिया, मजनू आदि नाम के गधे लेकर आते हैं। बताया गया कि इस बार कैटरीना नाम की गधी को सबसे ज्यादा 40 हजार रुपये में खरीदा गया। इनके अलावा रणबीर, अक्षय आदि नामों के मवेशी भी बाजार में बिकने पहुंचे।
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