हल्द्वानी: हिमालयी राज्यों में देवभूमि की महिलाओं की स्थिति दोयम

हल्द्वानी, अमृत विचार। हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड की महिलाओं की स्थिति बेहतर नहीं है। कुछ मामलों में 10 हिमालयी राज्यों में सबसे निचले पायदान पर है। राज्य गठन के बाद भी महिलाओं की शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर कोई भी सरकार बेहतर काम नहीं कर पाई है। जिस वजह से ये शर्मनाक आंकड़ा हमारे सामने हैं।
शिक्षा के मामले में पिछड़ गईं देवभूमि की महिलाएं
हल्द्वानी। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी की गई पिछली रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में छह साल से ऊपर की महिलाएं जो कभी स्कूल गईं हों, ऐसी महिलाओं का प्रतिशत 75.2 है वहीं उत्तराखंड से अच्छी स्थिति मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, मणिपुर, हिमाचल राज्यों की है। उत्तराखंड इस मामले में 10 राज्यों में 9वें नंबर पर है। उत्तराखंड महिलाओं को स्कूल भेजने के मामले में केवल अरूणाचल प्रदेश से ही आगे है। 15 से 49 साल की महिलाओं में साक्षरता के मामले में उत्तराखंड की हिमालयी राज्यों में स्थिति थोड़ी बेहतर है। इसे मामले में उत्तराखंड त्रिपुरा, जम्मू-कश्मीर, अरूणाचल प्रदेश से आगे है।
नवजातों को बचाने में भी हम सबसे पिछड़े राज्यों में
हल्द्वानी। हिमालयी राज्यों में नवजातों को बचाने के मामले में उत्तराखंड की सबसे बुरी स्थिति है। उत्तराखंड में प्रति 1000 शिशु जन्म दर पर औसतन 39.1 बच्चों की मौत हो जाती है। हमसे आगे सभी हिमालयी राज्य है। इस मामले में हिमालयी राज्यों में सबसे बेहतरीन स्थिति सिक्किम की है। सिक्किम में प्रति 1000 शिशु जन्म दर पर औसतन 11.2 बच्चों की मौत होती है।
परिवार में निर्णय लेने पर पांचवें नंबर पर
हल्द्वानी। एनएफएचएस की रिपोर्ट के अनुसार परिवार में निर्णय लेने के मामले में उत्तराखंड की महिलाएं हिमालयी राज्यों में पांचवें नंबर पर हैं। उत्तराखंड में 91 प्रतिशत महिलाएं घरेलू निर्णयों में भाग लेतीं हैं। सबसे बेहतरीन स्थिति नागालैंड की महिलाओ की है। वहां ये प्रतिशत 98.8 है। अरूणाचल प्रदेश में 87 प्रतिशत और जम्मू कश्मीर में 81.6 प्रतिशत के साथ ये आंकड़ा सबसे कम है।